कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार (11 दिसंबर) को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर हमला करते हुए उन्हें "सरकार का सबसे बड़ा प्रवक्ता" बताया. इस दौरान खड़गे ने कहा, "राज्यसभा में विघटन का सबसे बड़ा कारण खुद अध्यक्ष हैं,. इसके साथ ही राज्यसभा में धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की नोटिस को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी.
दरअसल, इंडिया गठबंधन ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग करते हुए राज्यसभा में प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस दिया है. खड़गे ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 1952 के बाद से कोई भी उपराष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा प्रस्ताव नहीं लाया गया है, क्योंकि इस पद पर जो भी व्यक्ति बैठते थे, वे "निष्पक्ष और राजनीति से परे होते थे". वो हमेशा सदन को नियमों के अनुसार चलाते थे. उन्होंने आगे कहा, "लेकिन आज सदन में नियमों की तुलना में राजनीति अधिक है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्यसभा के सभापति पर क्या लगाए आरोप?
कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्यसभा के सभापति पर "हेडमास्टर" की तरह काम करने का आरोप लगाते हुए कहा, "राज्यसभा के सभापति हेडमास्टर की तरह शिक्षा देते हैं. खड़गे ने आगे आरोप लगाया कि सभापति ने विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जानबूझकर चर्चा को रोका. उन्होंने कहा, "विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं, तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा की अनुमति नहीं देते. बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है.
धनखड़ की निष्ठा पर खड़े हुए सवाल
इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति धनखड़ की "निष्ठा" संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्तारूढ़ भाजपा के प्रति है. खड़गे ने कहा, "वह अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं. मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान पैदा करने वाला व्यक्ति स्वयं सभापति हैं. खड़गे ने यह भी दावा किया कि राज्यसभा के सभापति के कामों से "देश की गरिमा को ठेस पहुंची है. उन्होंने साफ किया कि मौजूदा परिस्थितियों के कारण भारतीय गुट अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुआ.
उपराष्ट्रपति धनखड़ से नहीं है हमारी व्यक्तिगत दुश्मनी
सदन में कार्यवाही के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "उपराष्ट्रपति धनखड़ से हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है. हम देशवासियों को बताना चाहते हैं कि हमने यह कदम लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए उठाया है और बहुत सोच-समझकर उठाया है.