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जब चार महीने तक चला था लोकसभा चुनाव, 68 चरणों में हुआ था मतदान; कहानी पहले आम चुनाव की

Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 को संपन्न कराने के लिए करीब डेढ़ महीने का समय लगेगा. अबकी बार चुनाव की यह समयावधि लोगों को ज्यादा दल रही होगी, लेकिन इसके पहले एक मौका ऐसा था जब आम चुनाव में 4 महीने का समय लगा था.

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Edited By: Pankaj Soni
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Lok Sabha Elections 2024 : देश में 2024 लोकसभा चुनाव के लिए रणभेरी बज चुकी है. इस बार 7 चरणों में चुनाव होगा. पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होगा तो सातवां चरण 1 जून को होगा. 4 जून को चुनाव परिणाण आएंगे. आज हम आपको पहले आम चुनाव की कहानी बताने जा रहे हैं. पहला लोकसभा चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से शुरू होकर 21 फरवरी 1952 को संपन्न हुआ था.

यह चुनाव करीब 4 महीने यानी 120 दिन तक चला था, जो कि भारत में सबसे लंबी मतदान अवधि है. पीटीआई के अनुसार, देश का पहला आम चुनाव 25 राज्यों के 401 निर्वाचन क्षेत्रों की 489 लोकसभा सीटों के लिए 68 चरणों में हुआ था.

2024 के चुनाव : दूसरी सबसे लंबी अवधि वाला

2024 का लोकसभा चुनाव तकरीबन डेढ़ महीने में संपन्न होगा. 19 अप्रैल से मतदान शुरू होने के बाद 47वें दिन मतगणना के साथ इसका समापन होगा. मतदान के लिए 44 दिन (19 अप्रैल से 1 जून) का समय लगेगा. इस तरह से 1951-52 के संसदीय चुनावों के बाद 2024 के आम चुनाव में लगने वाला समय दूसरी सबसे लंबी मतदान अवधि होगी.


हिमाचल में पड़ा था देश का पहला वोट

देश में पहले आम चुनाव में अक्टूबर 1951 में हिमाचल प्रदेश में मतदान हुआ था. क्योंकि भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों के दौरान ये इला​का अक्सर बाकी​ हिस्सों से कट जाता था. हिमाचल प्रदेश के अलावा बाकी राज्यों में 1952 में मतदान हुए थे. वहीं जम्मू कश्मीर में 1967 तक कोई मतदान नहीं हुआ. पहले लोकसभा चुनाव के लिए सबसे पहला वोट हिमाचल प्रदेश के चीनी गांव में डाला गया था, जिसे अब कल्पा (जिला किन्नौर) के नाम से जाना जाता है. तब बैलेट पेपर पर चुनाव कराए जाते थे. अब इनकी जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) ने ले ली है. पहले लोकसभा चुनाव के लिए सबसे पहला वोट श्याम सरन नेगी ने डाला था. वह हिमाचल प्रदेश के कल्पा में एक स्कूल शिक्षक थे. नेगी ने पहला वोट 25 अक्टूबर 1951 को डाला था. 

एक बार तो 10 दिन में हुए थे लोकसभा चुनाव

आजादी के बाद से भारत में लोकसभा चुनाव की अवधि बदलती रही है. एक बार तो इस चुनाव को 10 दिम में संपन्न करा लिया गया था. दूसरी लोकसभा के लिए चुनाव 24 फरवरी से 14 मार्च 1957 के बीच यानी 19 दिनों में हुए. 1962 के लोकसभा चुनाव 19 से 25 फरवरी यानी 7 दिनों में हुए थे. 1962 और 1989 के बीच लोकसभा चुनावों की अवधि चार से 10 दिनों तक चली. देश में लोकसभा चुनाव के लिए सबसे कम मतदान की अवधि 1980 में केवल चार दिन (3 से 6 जनवरी) थी और इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी दोबारा सत्ता में आई गईं. 2004 के लोकसभा चुनाव चार चरणों में 21 दिनों में हुए. 2009 लोकसभा चुनाव एक महीने में पांच चरणों में हुए थे. 2014 का आम चुनाव 9 चरणों में हुआ और इसमें 36 दिन लगे थे.

पहले आम चुनाव में मतदान की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष थी

देश में पहले आम चुनाव 1951-52 में मतदान के लिए न्यूनतम उम्र 21 वर्ष थी, जो वर्तमान में 18 वर्ष है. संविधान (61वां संशोधन) अधिनियम, 1988 के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में चुनाव में मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई. संविधान के अनुच्छेद 326 में संशोधन करके ऐसा किया गया था. 

पहले लोकसभा चुनाव का परिणाम क्या था?

देश के पहले लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की थी. पार्टी को 45% वोट मिले और उसने 489 में से 364 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. इन चुनावों में दूसरे स्थान पर सोशलिस्ट पार्टी रही थी. उसे सिर्फ 11 प्रतिशत वोट मिले थे. वह 12 सीटों पर कब्जा जमा सकी थी. चुनाव के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रधानमंत्री बने थे.

पहले चुनाव में ये बड़े चेहरे मैदान पर उतरे थे

पहले आम चुनाव में कुल 53 पार्टियों ने 489 सीटों पर चुनाव लड़ा था. 1951-52 में जवाहर लाल नेहरू के अलावा सीपीआई से एके गोपालन, सोशलिस्ट पार्टी से जय प्रकाश नारायण, भारतीय जनसंघ से श्यामा प्रसाद मुखर्जी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी से सुचेता कृपलानी और आचार्य कृपलानी, शेड्यूल्ड केस्ट्स फेडरेशन से संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर आदि चुनाव मैदान में उतरे थे.

मत-पत्रों पर चुनाव चिह्न छपे थे

देश में पहले आम चुनाव के समय 85 प्रतिशत लोग निरक्षर थे. लगभग 40 करोड़ की जनसंख्या में केवल 15 प्रतिशत लोग ही किसी एक भाषा को पढ़ना-लिखना जानते थे. इन स्थितियों में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों के नाम छापने से मतदाताओं को पसंदीदा वोट का विकल्प नहीं मिल पाता था.

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