अलग केंद्र शासित प्रदेश की मांग को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में कुकी संगठन, मैतेई ने जताया विरोध
गृह मंत्रालय द्वारा कुकी समुदाय की केंद्र शासित प्रदेश की मांग ठुकराए जाने के बाद कुकी संगठनों ने आंदोलन तेज करने का संकल्प लिया. मैतेई संगठनों ने इस मांग का कड़ा विरोध करते हुए PM को ज्ञापन सौंपा. संघर्ष के बीच राजनीतिक स्थिति भी अस्थिर है.
नई दिल्ली: मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष और अस्थिरता के बीच कुकी संगठनों ने साफ कर दिया है कि वे अलग प्रशासन या केंद्र शासित प्रदेश की अपनी मांग को लेकर अब और जोरदार राजनीतिक अभियान चलाएंगे. यह घोषणा गृह मंत्रालय द्वारा उनकी मांग ठुकराए जाने के कुछ दिनों बाद सामने आई है.
गुवाहाटी में आयोजित एक बड़े सम्मेलन में कुकी समूहों, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) ने कहा कि वे लगातार, सतत और अटूट राजनीतिक प्रयास के साथ केंद्र सरकार पर दबाव बनाए रखेंगे. दोनों संगठन फिलहाल सरकार के साथ संचालन निलंबन (SoO) समझौते के तहत हैं.
मैतेई संगठनों की कड़ी आपत्ति
कुकी संगठनों के बयान के कुछ ही घंटे बाद समन्वय समिति ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI), जो मुख्य रूप से मैतेई समुदाय का शीर्ष संगठन माना जाता है, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा. इसमें उन्होंने KNO और UPF के उस दावे का विरोध किया कि 1949 में मणिपुर के भारत में विलय से पहले कुकी समुदाय मणिपुर प्रशासन का हिस्सा नहीं थे.
COCOMI ने दोहराया कि कुकी समूहों की अलग प्रशासन या विशेष केंद्र शासित प्रदेश की मांग किसी भी हालत में स्वीकार नहीं की जा सकती और इससे मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचेगा.
संयुक्त समिति का गठन
गुवाहाटी सम्मेलन में कुकी संगठनों ने यह भी निर्णय लिया कि वे एक संयुक्त राजनीतिक आंदोलन कार्य समिति बनाएंगे, जो भविष्य में केंद्र सरकार के साथ होने वाली सभी आधिकारिक वार्ताओं में एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में काम करेगी. कुकी समूहों का कहना है कि मणिपुर में जारी संघर्ष ने उनके समुदाय को गहरे सामाजिक और आर्थिक नुकसान पहुंचाए हैं, जिनके समाधान के लिए केंद्र सरकार से ठोस कदम जरूरी हैं.
एक प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार को कुकी-जो समुदाय की शिकायतों और लंबे समय से चले आ रहे कष्टों का तत्काल और व्यापक समाधान निकालना चाहिए.
संघर्ष की पृष्ठभूमि
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष पिछले वर्ष से जारी है, जिसके चलते 260 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं. हालात बिगड़ने के बाद से राज्य राष्ट्रपति शासन के अधीन है.
कुकी समूहों का मानना है कि एक विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अलग प्रशासन ही इस संघर्ष का स्थायी समाधान हो सकता है. जबकि मैतेई समुदाय इसे राज्य की एकता और अखंडता के लिए खतरा मानता है.
राजनीतिक स्थिति पर भी असमंजस
इस बीच, कुकी-जो समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले 10 विधायकों ने स्पष्ट किया है कि वे मणिपुर में सरकार का समर्थन करेंगे या नहीं, इस पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. यह बयान उन खबरों के बाद आया, जिनमें दावा किया गया था कि सभी विधायक भाजपा सरकार को समर्थन देने पर सहमत हो गए हैं.
दूसरी ओर, मैतेई और नागा विधायकों ने कानून-व्यवस्था में सुधार का हवाला देते हुए राज्य में जल्द सरकार बहाल करने की मांग की है. लेकिन कुकी-जो काउंसिल ने भाजपा नेताओं से साफ कहा है कि किसी भी सरकार के गठन से पहले केंद्र शासित प्रदेश की मांग पूरी होनी चाहिए. हाल ही में भाजपा नेता संबित पात्रा और बी.एल. संतोष ने चुराचांदपुर का दौरा कर कुकी नेताओं से बातचीत भी की थी.
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