बांग्लादेशी होने के शक में ले ली दलित मजदूर की जान, भीड़ ने पीट-पीटकर कर दी हत्या
केरल के पलक्कड़ में छत्तीसगढ़ के एक दलित प्रवासी मजदूर की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. उसे बांग्लादेशी नागरिक या चोर समझ लिया गया था. पुलिस ने मामले में गिरफ्तारियां की हैं.
केरल के पलक्कड़ जिले से सामने आई एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. रोजगार की तलाश में गए छत्तीसगढ़ के एक गरीब दलित मजदूर की कथित तौर पर पहचान की गलतफहमी के कारण जान ले ली गई.
भीड़ की हिंसा का शिकार हुआ यह युवक न तो अपराधी था और न ही विदेशी नागरिक. यह मामला प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा, सामाजिक डर और भीड़तंत्र की भयावह सच्चाई को उजागर करता है.
घटना कैसे सामने आई
यह वारदात केरल के पलक्कड़ जिले में हुई, जहां एक समूह ने एक युवक को घेरकर बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया. शुरुआती जानकारी के मुताबिक, हमलावरों को शक था कि युवक बांग्लादेशी नागरिक है. कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि इलाके में हाल ही में हुई चोरी की घटना के बाद उसे चोर समझ लिया गया. मारपीट इतनी गंभीर थी कि युवक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.
मृतक की पहचान और पृष्ठभूमि
मृतक की पहचान 31 वर्षीय रामनारायण बघेल के रूप में हुई है, जो छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के करही गांव का निवासी था. वह बेहद गरीब परिवार से था और रोजी-रोटी की तलाश में 13 दिसंबर को केरल पहुंचा था. रामनारायण निर्माण स्थल पर दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहा था. उसके परिवार में पत्नी ललिता और दो छोटे बेटे हैं.
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
रामनारायण की मौत की खबर मिलते ही उसका गांव शोक में डूब गया. परिजन इस खबर से पूरी तरह टूट चुके हैं. रिश्तेदार किशन बघेल ने बताया कि रामनारायण को एक दूर के रिश्तेदार के बुलावे पर काम के लिए केरल भेजा गया था. उसकी पत्नी ललिता जैसे ही घटना की सूचना मिली, पलक्कड़ के लिए रवाना हो गई, हालांकि खबर लिखे जाने तक वह वहां नहीं पहुंच सकी थी.
पुलिस कार्रवाई और जांच
घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया, जिसे देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी. केरल पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि घटना के पीछे की असली वजह और घटनाक्रम को समझने के लिए गहन जांच की जा रही है. मृतक की पहचान आधार कार्ड से की गई, जिसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस को सूचना दी गई.
कानूनी प्रक्रिया और अंतिम संस्कार
वालायार थाने में इस मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) के तहत केस दर्ज किया गया है. पोस्टमॉर्टम समेत सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रामनारायण का शव उसके पैतृक गांव भेजा जाएगा, जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा. यह घटना प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है और भीड़ हिंसा के खिलाफ सख्त कदमों की जरूरत को फिर से सामने लाती है.
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