अब Poop से पैदा होगी बिजली! इस राज्य में लग रहा अनोखा प्लांट, बिल गेट्स की फाउंडेशन ने दिया पूरा फंड
Omni Processor Project: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में अब ह्यूमन वेस्ट से बिजली बनाई जाएगी. मुत्तथारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ₹36 करोड़ की लागत से 'ओमनी प्रोसेसर' लगाया जा रहा है. इसका पूरा खर्च बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन उठा रहा है. मंत्री एम बी राजेश ने इसका उद्घाटन किया.
Kerala Omni Processor Project: स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन (sustainable waste management) की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, केरल की राजधानी ह्यूमन वेस्ट को बिजली में बदलने का फैसला लिया है. तिरुवनंतपुरम स्थित मुत्तथारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ₹36 करोड़ की लागत से एक 'ओमनी प्रोसेसर' प्लांट बनाया जा रहा है और इसका पूरा फंड बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा दिया जा रहा है.
बुधवार को, एलएसजीडी मंत्री एम बी राजेश ने इस परियोजना का उद्घाटन किया और इसे स्वच्छ ऊर्जा और स्वच्छता की दिशा में एक बड़ी छलांग बताया. एक फेसबुक पोस्ट में, राजेश ने पुष्टि की कि माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा द्वारा स्थापित इस फाउंडेशन ने इस पहल का पूरा फंड किया है.
एक्टिवेटेड स्लज प्रोसेस
तिरुवनंतपुर केरल का एकमात्र ऐसा शहर है जहां एक पूर्ण सीवर सिस्टम है. मुत्तथारा सीवेज प्लांट प्रतिदिन 5.5-6.5 करोड़ लीटर सीवेज का उपचार करता है और प्रतिदिन 90-100 ट्रक मल प्राप्त करता है. लिक्विड वेस्ट का ट्रीटमेंट एक्टिवेटेड स्लज प्रोसेस
तकनीक का उपयोग करके किया जा रहा है. लेकिन ठोस स्लज लगभग 5-8 टन प्रतिदिन साइट पर जमा हो रहा था और कोई खरीदार नहीं था. यहीं पर ओमनी प्रोसेसर काम आता है.
- यह मशीन रोगजनकों को नष्ट करती है
- संसाधनों को पुनः प्राप्त करती है
- बिजली उत्पन्न करती है
- स्वच्छ जल, आसुत जल और राख को उप-उत्पाद के रूप में उत्पन्न करती है
एलएसजीडी मंत्री राजेश ने कहा, 'यह संयंत्र की 100% बिजली की जरूरतों को पूरा करेगा और सभी अवशिष्ट स्लज को हटा देगा.'
केरल को मिला यह प्लांट?
दिलचस्प बात यह है कि यह परियोजना मूल रूप से हैदराबाद के लिए थी. हालांकि, वाश संस्थान और स्वच्छ भारत मिशन के मजबूत समर्थन से, केरल सरकार ने संयंत्र को तिरुवनंतपुरम में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया. शुरुआती बाधाएं थीं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने संयंत्र के रनवे से निकटता के कारण चिंताएं जताईं. लेकिन राज्य सरकार की लगातार पैरवी के बाद अंततः इसे हरी झंडी मिल गई. बता दें, निर्माण अगले साल मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद संयंत्र पूरी तरह से चालू हो जाएगा.
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