'राज्य का दर्जा बहाल नहीं हुआ तो छोड़ दूंगा कुर्सी', उमर अब्दुल्ला
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटने के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. तब से लेकर अब तक राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग लगातार उठती रही है.
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में हलचल मचाने वाला बड़ा बयान सामने आया है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि केंद्र सरकार निर्धारित समय सीमा में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस नहीं देती, तो वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे.
उमर अब्दुल्ला ने यह बयान एक राष्ट्रीय टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में दिया. उन्होंने कहा, “हमने जनता से राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया है. यदि यह वादा एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूरा नहीं होता, तो मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.”
मुख्यमंत्री के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. विपक्षी दलों ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह जनता के दबाव और राजनीतिक हताशा का परिणाम है. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थकों का कहना है कि उमर अब्दुल्ला का यह कदम जनता की भावनाओं को प्रतिबिंबित करता है और राज्य के अधिकारों की लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है.
विश्लेषकों का मानना है कि उमर अब्दुल्ला का यह बयान केंद्र पर दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अब "काउंटडाउन" शुरू हो चुका है, और आने वाले महीनों में स्टेटहुड बहाली को लेकर माहौल और गर्म हो सकता है.
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटने के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. तब से लेकर अब तक राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग लगातार उठती रही है. केंद्र ने कई बार कहा कि स्टेटेहूड “उचित समय पर” वापस दी जाएगी, लेकिन अब तक कोई ठोस समयसीमा तय नहीं की गई है.
उमर अब्दुल्ला के इस बयान के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी विधानसभा सत्र में यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाएगा. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयान न सिर्फ सत्ता समीकरणों को प्रभावित करेगा बल्कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर के रिश्तों में भी नई हलचल पैदा कर सकता है.