उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर भारतीय राजनीति में एक अनोखी स्थिति देखने को मिल रही है. इस बार कई सांसद, जो कई कारणों से जेल में बंद हैं, उन्हें मतदान के लिए विशेष अनुमति प्रदान की गई है. कुछ को अंतरिम जमानत मिली है, तो कुछ को कड़ी सुरक्षा के बीच संसद भवन लाया जाएगा. यह व्यवस्था न केवल लोकतंत्र की मजबूती को दिखाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि हर सांसद को अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करने का मौका मिले.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस उपराष्ट्रपति चुनाव में कई सांसदों को जेल से मतदान के लिए विशेष व्यवस्था दी गई है. आंध्र प्रदेश के राजमपेट से वाईएसआरसीपी सांसद पीवी मिधुन रेड्डी को 6 सितंबर से 11 सितंबर तक पांच दिन की अंतरिम जमानत मिली है. रेड्डी को आंध्र प्रदेश पुलिस ने 19 जुलाई को 3,200 करोड़ रुपये की कथित आबकारी अनियमितताओं के मामले में गिरफ्तार किया था. इस जमानत ने उन्हें न केवल मतदान का अधिकार दिया, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी का मौका भी प्रदान किया.
इंजीनियर राशिद की कस्टडी परोल
लोकसभा सांसद अब्दुल राशिद शेख, जिन्हें इंजीनियर राशिद के नाम से जाना जाता है, को दिल्ली की तिहाड़ जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच संसद भवन लाया जाएगा. अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के नेताओं ने बताया कि दिल्ली की एक अदालत ने जेल अधिकारियों को 9 सितंबर को राशिद को कस्टडी परोल पर रिहा करने का निर्देश दिया है.
राशिद के बेटे अबरार ने कहा,''मेरे पिता चुनाव प्रक्रिया में भाग लेंगे और कड़ी सुरक्षा के बीच संसद जाएंगे. हमें उम्मीद है कि हाई कोर्ट हमें अनुकूल फैसले देगा. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राशिद को संसद के द्वार पर मार्शल को सौंपा जाए और मतदान के बाद तुरंत जेल वापस लाया जाए. उन्हें अन्य सांसदों और कर्मचारियों से बातचीत की अनुमति है, लेकिन प्रेस से बात करने या साक्षात्कार देने पर पाबंदी है.
अमृतपाल सिंह: डाक मतपत्र से मतदान
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह डाक मतपत्र के जरिए मतदान करेंगे. वारिस दे पंजाब के प्रवक्ता और उनके वकील एडवोकेट ईमान सिंह खारा ने बताया कि पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सूचित किया है कि भारत के चुनाव आयोग ने जेल में बंद सांसद के लिए मतदान सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. खारा ने कहा,''अधिकारियों ने असम के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि डाक मतपत्र समय पर रिटर्निंग ऑफिसर को प्राप्त हो जाए.”
लोकतंत्र की जीत
ऐसा पहली बार नहीं है जब जेल में बंद सांसदों को मतदान के लिए विशेष अनुमति दी गई हो, लेकिन इस बार की व्यवस्था ने लोकतंत्र की मजबूती को एक बार फिर रेखांकित किया है. अदालतों और जेल प्रशासन की ओर से की गई यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि सांसद अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें.