नई दिल्ली में आयोजित 23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऊर्जा, व्यापार और कूटनीतिक मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की. जहां पुतिन ने भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए निरंतर सप्लाई का भरोसा दिया, वहीं पीएम मोदी ने आर्थिक साझेदारी को 2030 के व्यापक कार्यक्रम के माध्यम से नई दिशा देने पर जोर दिया. दोनों नेताओं ने एफटीए, क्रिटिकल मिनरल्स और वैश्विक शांति प्रयासों में सहयोग बढ़ाने का संकेत भी दिया.
पुतिन ने कहा कि रूस भारत को ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. उन्होंने तेल, गैस और कोयले की स्थिर डिलीवरी को भारत–रूस साझेदारी की मजबूत कड़ी बताया. पश्चिमी देशों की आलोचनाओं के बीच रूस ने भारत को विश्वसनीय ईंधन आपूर्तिकर्ता बने रहने का वादा दोहराया.
संयुक्त प्रेस वार्ता में पुतिन ने बताया कि दोनों देशों के बीच 96 प्रतिशत व्यापार राष्ट्रीय मुद्राओं में हो रहा है. उनके अनुसार, रुपये–रूबल से होने वाले लेनदेन ने वित्तीय सहयोग को नई स्थिरता दी है और व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाया है.
पीएम मोदी ने कहा कि रूस के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाना भारत की प्राथमिकता है. इसी दिशा में दोनों देशों ने 2030 तक का आर्थिक कार्यक्रम तय किया है, जिसमें व्यापार विविधीकरण, निवेश बढ़ोतरी और रणनीतिक क्षेत्रों में साझेदारी का विस्तार शामिल है.
मोदी ने कहा कि भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को जल्द अंतिम रूप देने की दिशा में प्रगति जारी है. उनके अनुसार, एफटीए लागू होने से बाजारों तक पहुंच आसान होगी और नए व्यापार अवसर पैदा होंगे.
प्रधानमंत्री ने यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्पष्ट नीति दोहराई. उन्होंने कहा कि भारत संवाद और कूटनीति के माध्यम से समाधान का समर्थन करता है. पीएम मोदी ने बताया कि भारत हर उस प्रयास में योगदान देने के लिए तैयार है, जो लंबे समय तक टिकने वाली शांति स्थापित कर सके.