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26/11 से जुड़े हैं मुरीदके के तार, भारत ने सोच-समझकर की स्ट्राइक

India Strikes At Muridke: पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की सैन्य प्रतिक्रिया 'ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान के पंजाब के मुरीदके पर भी हमला किया गया. यह हमला क्यों जरूरी था, चलिए जानते हैं.

Shilpa Srivastava

India Strikes At Muridke: पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की सैन्य प्रतिक्रिया 'ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान के पंजाब के मुरीदके पर भी हमला किया गया. इस हमले को काफी अहम माना गया है क्योंकि यह लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय है. यही नहीं, इसे पाकिस्तानी की आतंक नर्सरी भी कहा जाता है. यह आतंकी संगठन हाफिज सईद के नेतृत्व में काम करता है. खबरों के अनुसार, पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले के पीछे हाथ भी इनका ही हाथ था. 

ऑपरेशन सिंदूर का मुख्य लक्ष्य जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा के जिहादी ढांचे थे, जो पिछले तीन दशकों में भारतीय धरती पर बड़े हमलों के लिए जिम्मेदार दो आतंकवादी संगठन हैं.

मुरीदके का हमला क्यों था जरूरी: 

बता दें कि मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा और उसके सहयोगी संगठन जमात-उद-दावा का मुख्यालय लगभग 200 एकड़ में फैला हुआ है. इसमें आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है. मुरीदके एक अहम बिजनेस सेंटर है जो लाहौर से लगभग 40 किमी दूर है. भारत के हमलों में पाकिस्तान के पंजाब के बहावलपुर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के कोटली और मुजफ्फराबाद को भी निशाना बनाया गया. बहावलपुर का चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि यह जैश-ए-मोहम्मद का आधार है. यह वह आतंकी समूह है जिसका प्रमुख मसूद अजहर 2008 में मुंबई में 26/11 हमलों का मास्टरमाइंड है.

पाकिस्तान और कश्मीर से भर्ती किए गए सैकड़ों स्वयंसेवकों को आतंकवादी अभियानों की ट्रेनिंग और प्लान बनाने के लिए यहां लाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यह 200 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है, जो इसे न केवल पाकिस्तान बल्कि दुनिया भर में सबसे बड़े आतंकी ठिकानों में से एक बनाता है. 1980 के दशक के अंत में लश्कर के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद ने पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के समर्थन और बाहरी सोर्सेज से मिली फंडिंग से इसे शुरू किया था.