तेल से लेकर न्यूक्लियर रिएक्टर तक… मोदी-पुतिन की डील ने बढ़ाई ट्रंप की टेंशन

भारत-रूस शिखर वार्ता में कच्चे तेल, गैस, न्यूक्लियर तकनीक, व्यापार वृद्धि, हथियार उत्पादन और श्रमिकों के आदान-प्रदान पर बड़े फैसले हुए. इन समझौतों से भारत की ऊर्जा सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और रणनीतिक क्षमता मजबूत होगी.

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Kuldeep Sharma

यूक्रेन युद्ध के बाद अपनी पहली भारत यात्रा पर आए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठकों में कई महत्वपूर्ण समझौतों पर मुहर लगाई. वैश्विक दबावों और अमेरिकी टैरिफ चुनौतियों के बीच हुए ये समझौते भारत के लिए आर्थिक, सामरिक और ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम हैं. 

तेल सप्लाई से लेकर न्यूक्लियर रिएक्टर तकनीक, हथियारों के संयुक्त उत्पादन से लेकर नई व्यापारिक राहों तक इन सभी निर्णयों ने भारत-रूस साझेदारी को और मजबूत बना दिया है.

ऊर्जा सप्लाई में बड़ा भरोसा

भारत और रूस के बीच सबसे बड़ा समझौता ऊर्जा सप्लाई को लेकर हुआ. रूस ने साफ कहा कि वह भारत को कच्चा तेल, नैचुरल गैस और पेट्रोकेमिकल उत्पाद पहले की तरह उपलब्ध कराता रहेगा. पश्चिमी देशों के दबाव और अमेरिकी टैरिफ के बावजूद यह घोषणा भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. भारत पहले ही रूस से सस्ती दरों पर बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है, और यह संबंध आगे और मजबूत होगा.

न्यूक्लियर रिएक्टर तकनीक में सहयोग

भारत ने छोटे न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने का लक्ष्य तय किया है, जो 2047 तक 100 गीगावाट बिजली निर्माण में मदद करेंगे. रूस ने इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का वादा किया है. दुनिया में इस तकनीक में रूस को अग्रणी माना जाता है, इसलिए यह साझेदारी भारत की ऊर्जा उत्पादन क्षमता को नई दिशा देगी. अभी भारत केवल आठ गीगावाट बिजली ही छोटे रिएक्टरों से बना पाता है.

व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य

दोनों देशों के बीच वार्षिक व्यापार अभी करीब 70 अरब डॉलर है, जिसमें भारत का भारी व्यापार घाटा शामिल है. अब लक्ष्य है कि इसे 100 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाए. इसके तहत वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही तेज होगी. खास बात यह है कि 96 फीसदी व्यापार रुपये और रूबल में होने लगा है, जिससे डॉलर पर निर्भरता कम हो रही है. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

हथियार निर्माण और स्पेस सहयोग

भारत अब रूस से केवल हथियार नहीं खरीदेगा बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत कई रक्षा उपकरण भारत में ही बनाएगा. दोनों देश को-डेवलपमेंट और को-प्रोडक्शन मॉडल पर काम करेंगे. ब्रह्मोस मिसाइल इसकी एक बड़ी मिसाल है. स्पेस सेक्टर में भी दोनों देश मिलकर मानव अंतरिक्ष मिशन, नेविगेशन और रॉकेट इंजन तकनीक पर सहयोग बढ़ाएंगे. यह भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को मजबूत करेगा.

नौकरी, कूटनीति और ट्रेड कॉरिडोर की बड़ी घोषणा

रूस ने भारतीय कामगारों को अपने देश में बड़े पैमाने पर नौकरी देने की घोषणा की है. रूस की बड़ी जनसंख्या कमी भारत के युवाओं के लिए अवसर पैदा कर रही है. इसके साथ ही, दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने का संकल्प दोहराया है. सबसे बड़ा ढांचा संबंधी फैसला इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को गति देना है, जिससे भारत-रूस व्यापार का समय 35 दिनों से घटकर 20–25 दिन रह जाएगा.