गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को 2013 के रेप केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने उनकी अस्थायी जमानत की अवधि को 7 जुलाई तक बढ़ा दिया. जस्टिस इलेश वोरा और जस्टिस संदीप भट्ट की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया. इससे पहले, आसाराम को 28 मार्च 2025 को स्वास्थ्य आधार पर अस्थायी जमानत दी गई थी, जिसकी अवधि 30 जून को समाप्त होने वाली थी. कोर्ट ने जमानत की अवधि इसलिए बढ़ाई है ताकि आसाराम के वकील याचिका से संबंधित आवश्यक दस्तावेज जमा कर सकें.
आसाराम (86) को 2013 में दर्ज एक रेप केस में दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. यह मामला जोधपुर की एक नाबालिग लड़की से संबंधित है, जिसमें आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगा था. सजा के बाद से वह जोधपुर जेल में बंद थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट में अस्थायी जमानत की अर्जी दी थी. मार्च 2025 में कोर्ट ने उनकी खराब स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए तीन महीने की अस्थायी जमानत मंजूर की थी.
जमानत अवधि बढ़ाने का आधार
हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान आसाराम की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखा. उनके वकील ने तर्क दिया कि आसाराम को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं, और उनकी याचिका पर विचार के लिए और समय चाहिए ताकि सभी जरूरी दस्तावेज जमा किए जा सकें. कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए उनकी अस्थायी जमानत को एक सप्ताह और बढ़ाने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इस दौरान आसाराम को सभी कानूनी शर्तों का पालन करना होगा.
अगली सुनवाई पर नजर
गुजरात हाई कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 2 जुलाई 2025 को होगी, जिसमें आसाराम के वकील को याचिका से संबंधित सभी दस्तावेज और तर्क पेश करने होंगे. कोर्ट इस सुनवाई में यह तय करेगा कि क्या जमानत को और बढ़ाया जाए या अन्य कोई निर्णय लिया जाए. इस बीच आसाराम को जमानत की शर्तों के तहत जोधपुर में ही रहना होगा और किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी.