मुर्शिदाबाद हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मिले राज्यपाल, पीड़ितों ने रखी ये मांग
मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना के कई इलाकों में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी. इस हिंसा में पिता-पुत्र समेत तीन लोगों की जान चली गई थी. कई हिंदू परिवारों के घर लूट लिए गए थे.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने शनिवार को मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और इस महीने की शुरुआत में वक्फ कानून को लेकर भड़की हिंसा में मारे गए पिता-पुत्र की जोड़ी के परिवार से मुलाकात की. राज्यपाल ने परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया और कहा कि वह इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे.
लोगों ने की बीएसएफ कैंप की मांग
उन्होंने अपनी यात्रा के दूसरे दिन समशेरगंज, धुलियन, सुति और जंगीपुर का दौरा किया. इस दौरान, हिंसा से प्रभावित स्थानीय लोगों ने बैनर प्रदर्शित कर क्षेत्र में स्थायी बीएसएफ कैंप की मांग की.
राज्यपाल का वादा: सीबीआई जांच की मांग
एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया, "राज्यपाल ने उनके घर का दौरा किया, परिवार के सदस्यों से बात की और उन्हें समर्थन का आश्वासन दिया. उन्होंने हत्या की सीबीआई जांच की मांग की है."
फरक्का के एक गेस्ट हाउस में बोस ने कुछ प्रभावित परिवारों से भी बात की. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने पीड़ितों को मेरा फोन नंबर दिया ताकि वे मुझसे सीधे बात कर सकें. उनकी सुरक्षा की भावना और अन्य मांगों या सुझावों पर विचार किया जाएगा. मैं इसे केंद्र और राज्य सरकार के साथ उचित कार्रवाई के लिए उठाऊंगा."
उन्होंने आगे कहा, "मैंने उन्हें मुझसे खुलकर बात करने के लिए कहा. फोन नंबर भी दे दिया गया है. हम उनके साथ संपर्क में रहेंगे. बहुत प्रभावी और सक्रिय कदम उठाए जाएंगे."
मालदा में राहत शिविर का दौरा
शुक्रवार को राज्यपाल मालदा पहुंचे और एक अस्थायी राहत शिविर का दौरा किया, जहां प्रभावित लोग शरण लिए हुए हैं. यह दौरा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सार्वजनिक अपील के बावजूद हुआ, जिसमें उन्होंने उनसे अपनी यात्रा स्थगित करने का अनुरोध किया था.
राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने की पीड़ित महिलाओं से मुलाकात
इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की एक अलग प्रतिनिधिमंडल ने मुर्शिदाबाद में पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की. प्रभावित महिलाओं ने हिंसा की एनआईए जांच की मांग की. एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष विजया राहतकर ने कहा, "इन लोगों को जो पीड़ा सहनी पड़ रही है, वह अमानवीय है. ये लोग इतने दर्द में हैं कि मैं अभी अवाक हूं."