'ED पर विपक्ष के हमले, लेकिन FATF ने की तारीफ,' ड्रग नेटवर्क पर कार्रवाई बनी मिसाल!

गृह मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को सुगम बनाने के लिए एक ऑनलाइन म्युचुअल लीगल असिस्टेंस पोर्टल लॉन्च किया है. इसके साथ ही, PMLA और CrPC के तहत सााफ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि वैश्विक स्तर पर सहयोग तेज और समान हो.

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Mayank Tiwari

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भले ही देश में विपक्ष के निशाने पर रहता हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके एक्शन की जमकर तारीफ हो रही है. मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी नई हैंडबुक ‘ऑन इंटरनेशनल कोऑपरेशन अगेंस्ट मनी लॉन्ड्रिंग’ में भारत और अमेरिका की ईडी की ज्वाइंट एक्शन को एक आदर्श उदाहरण के रूप में शामिल किया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने एक वैश्विक ड्रग नेटवर्क की जांच की, जो डार्कनेट पर चल रहा था और लगभग 150 मिलियन डॉलर (₹1,250 करोड़) के ड्रग्स से जुड़ा था. FATF ने इसे अपनी हैंडबुक में बेस्ट-प्रैक्टिस केस स्टडी के रूप में शामिल किया गया है.

ड्रग नेटवर्क का हुआ पर्दाफाश

इस नेटवर्क के पीछे दो भाई, बनमीत सिंह और परमिंदर सिंह, थे. ईडी ने बनमीत को 26 अप्रैल 2024 और परमिंदर को 1 मई 2024 को हल्दवानी से गिरफ्तार किया था. दोनों ने डार्कनेट और फ्री वेबसाइट्स के जरिए ड्रग्स बेचकर मोटी कमाई की थी. भुगतान बिटकॉइन में लिया जाता था, जिसे बाद में बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता था. FATF के अनुसार, ईडी ने न केवल डार्कनेट पर एक्टिव इस नेटवर्क की पहचान की, बल्कि अमेरिका में इसके पनाहगारों का भी पता लगाया. हैंडबुक में बताया गया है कि यह गैंग 8,500 बिटकॉइन कंट्रोल करता था, जो उस समय करीब 150 मिलियन डॉलर के बराबर था.

अमेरिका से चल रहा था नेटवर्क

ईडी ने अमेरिकी एजेंसियों के साथ ऑनलाइन म्युचुअल असिस्टेंट पोर्टल के जरिए रियल-टाइम सूचनाओं का आदान-प्रदान किया. इससे सिंह भाइयों द्वारा अमेरिका में चल रहे आठ वितरण नेटवर्क का खुलासा हुआ. जांच में सामने आया कि उनका ड्रग्स नेटवर्क अमेरिका के सभी 50 राज्यों के साथ-साथ कनाडा, इंग्लैंड, आयरलैंड, जमैका, स्कॉटलैंड और यूएस वर्जिन आइलैंड तक फैला था. क्रिप्टो एक्सचेंज और डार्क वेब प्लेटफॉर्म्स के जरिए भारी मात्रा में धन छुपाया गया और मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किया गया.

FATF ने सहयोग पर की जमकर तारीफ

FATF की हैंडबुक में जिक्र किया गया है कि इस मामले में औपचारिक कानूनी प्रक्रियाओं (MLA) के बजाय गैर-औपचारिक तरीकों, जैसे तेज सूचना शेयर करना, सहयोग पर जोर दिया गया. इसने जांच को तेजी से आगे बढ़ाने में मदद की. हैंडबुक में कहा गया, “औपचारिक कानूनी प्रक्रियाओं (MLA) की बजाए इस केस में गैर-औपचारिक तरीकों जैसे तेज सूचना शेयर करना, सहयोग और संयुक्त विश्लेषण पर भरोसा किया गया, जिससे जांच बहुत जल्दी आगे बढ़ी.”