दिल्ली-NCR में तेज भूकंप के झटके, कई सेकेंड तक हिलती रही धरती

दिल्ली-NCR में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. कई सेकेंड तक धरती हिलती रही. भूकंप के झटके गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली में लोगों ने महसूस किया. 

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Gyanendra Sharma

दिल्ली-NCR में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. कई सेकेंड तक धरती हिलती रही. भूकंप के झटके गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली में लोगों ने महसूस किया. लगभग 10 सेकेंड तक धरती डोलती रही. शुरुआती जानकारी में इसकी तीव्रता 4.1 बताई जा रही है. भूकंप का केंद्र हरियाणा का झज्जर बताया जा रहा है.

दिल्ली-एनसीआर में लोग दहशत में आ गए. घरों के पंखे और सामान हिलने लगे. डर से लोग घर से बाहर भागे. दिल्ली के आसपास सभी जगहों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए. पिछले 6 महीने में दिल्ली में ये तीसरी बार भूकंप के झटके लगे हैं.  इससे पहले 19 अप्रैल और 17 फरवरी को भी भूकंप आया था. 

12 मई 2025 की आधी रात को उत्तर प्रदेश और बिहार के कई शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र तिब्बत में था, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.7 मापी गई. भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बुलंदशहर और बिहार के पटना, मोतिहारी, दरभंगा, समस्तीपुर जैसे शहरों में लोगों ने इन झटकों को महसूस किया.

दिल्ली में भूकंप का खतरा क्यों है अधिक?

दिल्ली उन चुनिंदा क्षेत्रों में शामिल है, जहां भूकंप का जोखिम हमेशा बना रहता है. भारत को भूकंप की तीव्रता के आधार पर चार भूकंपीय क्षेत्रों (सिस्मिक जोन) में बांटा गया है. दिल्ली सिस्मिक जोन IV में आती है, जो उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है. इस जोन में उत्तराखंड के नैनीताल, पीलीभीत, रुड़की, बिहार के पटना, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर, गोरखपुर, सिक्किम के गंगटोक और पंजाब के अमृतसर जैसे शहर भी शामिल हैं. इस क्षेत्र में अगर तेज भूकंप आता है, तो इसकी तीव्रता 6 से 6.9 तक हो सकती है, जिससे इमारतों की नींव को नुकसान और ऊपरी मंजिलों में दरारें पड़ सकती हैं.

दिल्ली-एनसीआर में भूकंप का खतरा बढ़ाने वाली वजहों में दिल्ली-हरिद्वार रिज और अरावली पर्वतों का विस्तार शामिल है. इसके अलावा, क्षेत्र में मौजूद दिल्ली-मुरादाबाद, मथुरा और सोहना फॉल्ट लाइनें भी भूकंपीय गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालयी क्षेत्र की टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण इस क्षेत्र में भूकंप की संभावना अधिक रहती है.