'हम बंधन में काम करते हैं, वे नहीं': डॉक्टरों ने उठाए सवाल, IITians के लिए ISRO, DRDO में अनिवार्य सेवा की मांग की

पूर्व ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि IITians में अंतरिक्ष एजेंसी में शामिल होने की रुचि कम है, क्योंकि उनकी प्राथमिकता उच्च वेतन वाली नौकरियों की होती है.

Imran Khan claims

भारत में मेडिकल स्नातकों पर अनिवार्य सेवा बंधन लागू होने के बावजूद, IIT जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों के छात्रों पर ऐसी कोई बाध्यता नहीं है. दो डॉक्टरों ने इस असमानता पर सवाल उठाया है, खासकर जब ISRO और DRDO जैसे सार्वजनिक क्षेत्रों में शीर्ष प्रतिभाएं कम रुचि दिखा रही हैं. KIMS अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक कृष्णमूर्ति ने कहा, “मैं सोचता हूं कि केवल डॉक्टरों को ही सरकारी सेवा के लिए बंधन क्यों? इसे IITians पर भी लागू करना चाहिए ताकि वे ISRO, DRDO आदि में काम करें.”

हाई सैलरी वाली नौकरी चाहते हैं IITians
पूर्व ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि IITians में अंतरिक्ष एजेंसी में शामिल होने की रुचि कम है, क्योंकि उनकी प्राथमिकता उच्च वेतन वाली नौकरियों की होती है. उद्योगपति हर्ष गोयनका ने ट्वीट किया कि ISRO प्रमुख और अंतरिक्ष विभाग के सचिव सोमनाथ का वेतन 2.5 लाख रुपये है, जो शीर्ष IITs में औसत प्लेसमेंट पैकेज के बराबर है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की, “IITians सिलिकॉन वैली चले गए; CETians ने हमें चंद्रमा तक पहुंचाया!” उन्होंने बताया कि भारत के चंद्र मिशन में TKM कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और तिरुवनंतपुरम के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग जैसे कम प्रसिद्ध संस्थानों के इंजीनियरों का योगदान था.

रक्षा अनुसंधान में प्रतिभा की कमी
पिछले महीने, वायु सेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने CII वार्षिक बिजनेस समिट 2025 में कहा कि भारत रक्षा अनुसंधान में शीर्ष प्रतिभाओं को बनाए रखने में असमर्थ है. उन्होंने कहा, “हमें सबसे अच्छे लोग नहीं मिल रहे. लोग विदेशों में जा रहे हैं. हमें उन्हें अच्छा वेतन, प्रोत्साहन, और बेहतर कार्य वातावरण देकर यहां रोकना होगा.” उन्होंने जोर देकर कहा, “प्रोत्साहन लोगों को नहीं लाता, यह कार्य वातावरण है जो लोगों को आकर्षित करता है. फिर भी, हमें कुछ प्रोत्साहन और अच्छा माहौल बनाना होगा ताकि हमें सर्वश्रेष्ठ लोग मिलें.”
 

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