डीएमके नेता और पुदुक्कोट्टई से राज्यसभा सांसद एमएम अब्दुल्ला ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के पत्र का तमिल में जवाब देते हुए कहा कि उन्हें इसका एक शब्द भी समझ में नहीं आया. रवनीत सिंह की ओर से अब्दुल्ला को लिखा गया पत्र- ट्रेनों में खाने की क्वालिटी और स्वच्छता से संबंधित उनके ओर से उठाए गए सवालों के संबंध में था.
सोशल मीडिया पर दोनों पत्रों की कॉपी शेयर करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री के कार्यालय में तैनात अधिकारियों को कई बार याद दिलाने के बावजूद कि वे हिंदी नहीं बोल सकते, पत्र-व्यवहार अभी भी उसी भाषा में भेजे जा रहे हैं.
மாண்புமிகு.ரயில்வே இணை அமைச்சர் அவர்களின் அலுவலகத்தில் இருந்து எப்போதும் இந்தியில்தான் கடிதம் வருகிறது. அவரது அலுவலக அதிகாரிகளை அழைத்து “எனக்கு இந்தி தெரியாததால் ஆங்கிலத்தில் கடிதத்தை அனுப்புங்கள்” என்று சொல்லியும் மீண்டும் மீண்டும் இந்தியிலேயே கடிதம் வருகிறது. தற்போது அவருக்கு… pic.twitter.com/1kekbfuQdD
— Pudukkottai M.M.Abdulla (@pudugaiabdulla) October 25, 2024
डीएमके सांसद की एक्स पर की गई पोस्ट के मुताबिक, रेल राज्य मंत्री के कार्यालय से आने वाला पत्र हमेशा हिंदी में होता है. मैंने उनके कार्यालय में तैनात अधिकारियों को फोन किया और कहा कि मुझे हिंदी नहीं आती, कृपया पत्र अंग्रेजी में भेजें, लेकिन पत्र हिंदी में था. मैंने जवाब इस तरह भेजा है कि वे समझ सकें और उसके अनुसार काम करें.
डीएमके सांसद ने तमिल में बिट्टू से अनुरोध किया कि अब से उन्हें पत्र-व्यवहार अंग्रेजी में भेजा जा सके. इससे पहले 2022 में डीएमके ने भी केंद्र पर निशाना साधते हुए हिंदी थोपने का आरोप लगाया था.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के बजाय अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए, डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि इससे देश की अखंडता को नुकसान पहुंचेगा.