UPSC Lateral Entry: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लैटरल एंट्री मोड के माध्यम से 45 वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों की भर्ती करने के प्रयास ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. विपक्षी नेताओं ने सरकार पर भारत में हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए अवसरों की रक्षा करने वाली आरक्षण प्रणाली को व्यवस्थित रूप से कमजोर करने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि यह कदम बीजेरी द्वारा अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को महत्वपूर्ण सरकारी पदों से दरकिनार करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है.
एक्स पर लिखे पोस्ट में खड़गे ने कहा कि संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली भाजपा ने आरक्षण पर दोहरा हमला किया है! कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि एक सुनियोजित साजिश के तहत भाजपा जानबूझकर नौकरियों में ऐसी भर्तियां कर रही है ताकि एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों को आरक्षण से दूर रखा जा सके.
संविधान को तार-तार करती भाजपा ने किया आरक्षण पर डबल वार !
— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 17, 2024
पहला, आज मोदी सरकार ने केंद्र में Joint Secretary, Directors and Deputy Secretary के कम से कम 45 पद Lateral Entry द्वारा भरने का विज्ञापन निकाला है। क्या इसमें SC,ST, OBC एवं EWS आरक्षण है?
सोची समझी साज़िश के तहत भाजपा…
बिहार में कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे आरक्षण प्रणाली और डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान पर गंदा मजाक बताया. यादव ने इस बात पर जोर दिया कि अगर ये 45 पद पारंपरिक सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से भरे जाते, तो उनमें से लगभग आधे एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होते. तेजस्वी के मुताबिक, लैटरल एंट्री का विकल्प चुनकर सरकार प्रभावी रूप से इन समुदायों को शासन में उनके उचित हिस्से से वंचित कर रही है.
तेजस्वी यादव ने एक्स पर पोस्ट किया कि पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री, बिहार में उनकी कठपुतली पार्टियां और उनके नेता बड़े ढिंढोरा पीटते थे कि आरक्षण खत्म करके कोई उनका हक नहीं छीन सकता, लेकिन उनकी आंखों के सामने, उनके समर्थन और सहयोग से वंचित, उपेक्षित और गरीब तबके के हक पर डाका डाला जा रहा है. उन्होंने कहा कि जागो दलित-ओबीसी-आदिवासी और गरीब सामान्य वर्ग जागो! हिंदू के नाम पर वे आपके अधिकारों को हड़प रहे हैं और आपके अधिकारों को बांट रहे हैं.
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया, जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद शामिल हैं. इन पदों को अनुबंध के आधार पर पार्श्व प्रवेश के माध्यम से भरा जाना है. आमतौर पर, ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं - भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) - और अन्य ग्रुप ए सेवाओं के अधिकारी नियुक्त होते हैं.
मोदी सरकार द्वारा 2018 में शुरू की गई लेटरल एंट्री पहल का उद्देश्य निजी क्षेत्र और अन्य गैर-सरकारी संगठनों से विशेषज्ञ प्रतिभाओं को सरकार में लाना है. सरकार का तर्क है कि इस कदम के पीछे का उद्देश्य प्रशासन में नए दृष्टिकोण और विशेषज्ञता को शामिल करना है, जिससे शासन की दक्षता में वृद्धि होगी. अब तक लेटरल एंट्री के ज़रिए 63 नियुक्तियाँ की गई हैं, जिनमें से 35 नियुक्तियाँ निजी क्षेत्र से हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस समय 57 अधिकारी मंत्रालयों/विभागों में पदों पर हैं. हालांकि, भर्ती का यह तरीका शुरू से ही विवादास्पद रहा है. आलोचकों का तर्क है कि यह भारतीय संविधान में निहित आरक्षण प्रणाली को दरकिनार करता है.