भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने गुरुवार को कहा कि यूं तो नवंबर में अपने रिटायरमेंट से पहले उन्हें उपयुक्त घर मिलने की संभावना नहीं है, लेकिन फिर भी वे नियमों द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना आधिकारिक आवास खाली कर देंगे. सीजेआई गवई के इस बयान को पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ पर तंज माना जा रहा है. सीजेआई गवई 9 अगस्त को रिटायर हो रहे न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया को विदाई देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. यह कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) द्वारा आयोजित किया गया था.
सीजेआई गवई ने कहा, 'मैं जस्टिस धूलिया को तब से जानता हूं जब वे सर्वोच्च न्यायालय आए थे. मैं उन्हें पहले नहीं जानता था. वे बहुत ही मिलनसार व्यक्ति हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन न्यायपालिका को समर्पित कर दिया है. CJI गवई ने कहा- हम न्यायपालिका में उनके योगदान को हमेशा याद रखेंगे. रिटायमेंट के बाद वे उन न्यायाधीशों में से एक होंगे जो सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद अपना सरकारी आवास खाली कर देंगे.' उन्होंने आगे कहा, 'वास्तव में, यह दुर्लभ है, और मैं ऐसा कर पाऊंगा क्योंकि 24 नवंबर तक मुझे उपयुक्त घर ढूंढने का समय नहीं मिलेगा. लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि नियमों के अनुसार जो भी समय मिलेगा, मैं उससे पहले ही वहां शिफ्ट हो जाऊंगा.'
यह टिप्पणी भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ पर एक तंज मानी जा रही, जो 8 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन हाल ही में अपने आधिकारिक आवास को छोड़ा है. सुप्रीम कोर्ट प्रशासन द्वारा एक जुलाई को आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को औपचारिक रूप से एक पत्र लिखे जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया था, जिसमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ से कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला संख्या 5 को खाली कराने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था.
#WATCH | Delhi | At Justice Sudhanshu Dhulia's farewell, CJI BR Gavai says, "He will be one of the judges who will vacate the house immediately the next day of his retirement. That's a rarity, which I also won't be in a position to do because I won't have time to find a suitable… pic.twitter.com/18P4p2Pv17
— ANI (@ANI) August 7, 2025
न्यायमूर्ति धूलिया कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे, जिनमें कर्नाटक का हिजाब प्रतिबंध मामला भी शामिल है. इस मामले में उन्होंने बहुमत से अलग राय देते हुए कहा कि स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने पर रोक नहीं होनी चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे हिजाब का बचाव नहीं कर रहे थे, बल्कि महिलाओं के पहनावे की स्वतंत्रता का समर्थन कर रहे थे. उनका न्यायिक दर्शन हमेशा मानव हित पर केंद्रित रहा है. उन्होंने वकीलों को बढ़ते मुकदमों के दौर में अपनी भूमिका को और मजबूत करने की सलाह दी.
अप्रैल में उन्होंने एक फैसले में उर्दू भाषा को इस भूमि की देन बताते हुए इसे "गंगा-जमुनी तहज़ीब" का श्रेष्ठ उदाहरण कहा था. उनका मानना था कि इसे सिर्फ मुस्लिमों की भाषा मानना वास्तविकता से भटकाव है. 10 अगस्त 1960 को जन्मे धूलिया ने देहरादून, इलाहाबाद और लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की. 1 नवंबर 2008 को वे उत्तराखंड हाई कोर्ट के स्थायी जज बने, 10 जनवरी 2021 को गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और 9 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए थे.