भाजपा का OBC नेताओं पर दांव; बिहार और राजस्थान में ओबीसी समाज के नेताओं को प्रदेश की कमान, क्या हैं मायने?

Bihar Rajasthan BJP New State President: भाजपा ने बिहार और राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बदल दिए हैं. बिहार में भाजपा ने राज्य की जिम्मेदारी डॉक्टर दिलीप जायसवाल को दी है, जबकि राजस्थान में भाजपा ने ये जिम्मेदारी मदन राठौड़ को दी है. खास बात ये कि दोनों नेता ओबीसी समाज से आते हैं. आइए, जानते हैं कि आखिर भाजपा के इस कदम के क्या मायने हैं.

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Bihar Rajasthan BJP New State President: बिहार विधानसभा चुनाव और राजस्थान में 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले भाजपा ने दोनों राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष पदों पर नए नेताओं की तैनाती की है. राजस्थान भाजपा की जिम्मेदारी मदन राठौड़ को जबकि बिहार भाजपा की जिम्मेदारी डॉक्टर दिलीप जायसवाल को दी गई है. दोनों नेता ओबीसी समाज से आते हैं.

गुरुवार देर शाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर दोनों नेताओं की नियुक्ति की घोषणा की गई. भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में दोनों नेताओं को दी गई नई जिम्मेदारियों की जानकारी दी गई.

इनके अलावा, भाजपा ने 6 राज्यों के नए प्रभारियों की भी नियुक्ति की है. इनमें हरीश द्विवेदी को असम, अतुल गर्ग को चंडीगढ़, अरविंद मेनन को लक्षद्वीप और तमिलनाडु, राधामोहन दास अग्रवाल को राजस्थान और डॉक्टर राजदीव रॉय को त्रिपुरा का प्रभारी बनाया गया है.

कौन हैं डॉक्टर दिलीप जायसवाल?

61 साल के दिलीप जायसवाल ने सम्राट चौधरी की जगह राज्य पार्टी प्रमुख का पद संभाला है. उनसे पहले सम्राट चौधरी बिहार भाजपा के अध्यक्ष थे. फिलहाल, सम्राट चौधरी बिहार के डिप्टी सीएम हैं. अब उनकी जगह दिलीप जायसवाल को राज्य की जिम्मेदारी भाजपा ने सौंपी है. ये जिम्मेदारी ऐसे वक्त में सौंपी गई है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव होने में एक साल से भी कम समय बचा है. 

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि सम्राट चौधरी के नेतृत्व में बिहार में पार्टी को कोई लाभ नहीं मिला. वे लोकसभा चुनाव में यादवों के बाद ओबीसी में दूसरे सबसे बड़े समूह कुशवाह समुदाय के मतदाताओं को आकर्षित करने में विफल रहे.

दिलीप जायसवाल बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री हैं. दिलीप जायसवाल बिहार विधान परिषद के तीसरे कार्यकाल के सदस्य हैं और लगभग 20 सालों तक बिहार भाजपा के कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं. जायसवाल सिक्किम भाजपा के प्रभारी और किशनगंज स्थित माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के प्रबंध निदेशक रह चुके हैं. पिछले सप्ताह जायसवाल ने अपने विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि विभाग में बिना पैसे के कोई काम नहीं हो रहा है.

दिलीप जायसवाल को राज्य की जिम्मेदारी सौंपे जाने के मायने

बिहार में एक साल से भी कम समय में विधानसभा चुनाव होना है. दिलीप जायसवाल बिहार के खगड़िया जिले से आते हैं और वैश्य समुदाय के एक मजबूत नेता हैं, जो अत्यंत पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आता है. जाति आधारित सर्वेक्षण के अनुसार, अत्यंत पिछड़ा वर्ग बिहार में सबसे बड़ा ब्लॉक है और जनसंख्या का 36% से अधिक हिस्सा है. 

भाजपा ने दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राज्य में अतिपिछड़ा वोट बैंक को साधने की कोशिश शुरू कर दी है. पार्टी दिलीप जायसवाल के जरिए ओबीसी वोट बैंक में सेंधमारी चाहती है. बिहार के भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सम्राट चौधरी से ठीक पहले पार्टी ने डॉक्टर संजय जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ओबीसी वोट बैंक साधने की कोशिश की थी.

कौन हैं मदन राठौड़?

राजस्थान भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष पांच महीने पहले ही राज्यसभा सांसद चुने गए हैं. मदन राठौड़ सुमेरपुर विधानसभा सीट से दो बार के विधायक भी रहे हैं. उन्हें संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है. मदन राठौड़ ओबीसी में घांची जाति से आते हैं. उन्हें भाजपा की नई और पुरानी दोनों पीढ़ियों के साथ काम करने का अनुभव है. वे भाजपा के पुराने नेताओं के साथ कई यात्राओं में शामिल रहे हैं.

कहा जाता है कि मदन राठौड़ पीएम मोदी ने काफी करीबी हैं. पिछले साल विधानसभा चुनाव में जब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था, तब उन्होंने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली थी, लेकिन आखिरी समय में पीएम मोदी ने उन्हें फोन किया था. 

मदन राठौड़ को राजस्थान भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने के मायने

बिहार की तरह राजस्थान में भी पार्टी ने ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने के लिए ये दांव खेला है. राजस्थान में 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ब्राह्मण समाज से आते हैं, जबकि नए प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से हैं. ऐसे में भाजपा ने दोनों बड़े पदों पर अलग-अलग समाज के नेताओं को बैठाकर राज्य के बड़े वोट बैंक पर निशाना साधने की कोशिश की है.