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बांग्लादेश में हिंसक विरोध तेज, कोलकाता तक दिखा असर; 10 प्वाइंट्स में समझें पूरा मामला

भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव रुकने का नाम नहीं ले  रही हैं. बांग्लादेश में अशांति अब सीमाओं के पार भी फैलने लगी है. सोमवार को नई दिल्ली में बांग्लादेश के उच्चायोग के पास प्रदर्शनकारियों के एक छोटे समूह के इकट्ठा होने के बाद देश ने अनिश्चित काल के लिए वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं.

Meenu Singh
Edited By: Meenu Singh
Bangladesh Protest- India Daily
Courtesy: @Hinduism_sci X Account

नई दिल्ली: भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव रुकने का नाम नहीं ले  रही हैं. बांग्लादेश में अशांति अब सीमाओं के पार भी फैलने लगी है. सोमवार को नई दिल्ली में बांग्लादेश के उच्चायोग के पास प्रदर्शनकारियों के एक छोटे समूह के इकट्ठा होने के बाद देश ने अनिश्चित काल के लिए वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं.

भारत ने भी बांग्लादेश के राजदूत को तलब किया है और अल्पसंख्यकों और राजनयिक मिशनों पर हमलों पर कड़ी आपत्ति जताई है. इसका असर कोलकाता की सड़कों पर भी दिखाई दे रहा है, जहां बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. तो हम आपको इस आर्टिकल में बांग्लादेश में चल रही अशांति से संबंधित 10 नवीनतम घटनाएं बताने जा रहे हैं, जिससे आप पूरा मामला समझ पाएंगे.  

वीज़ा सेवाएं निलंबित

बता दें बांग्लादेश ने राजनयिक परिसरों के पास हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए नई दिल्ली स्थित अपने उच्चायोग और त्रिपुरा तथा सिलीगुड़ी स्थित दूतावासों में वीज़ा सेवाएं निलंबित कर दी हैं.

भारत ने जवाब में बांग्लादेश के राजदूत को तलब किया है और अल्पसंख्यकों पर हमलों तथा राजनयिक दूतावासों को मिल रही धमकियों पर कड़ी आपत्ति जताई है.

कोलकाता की सड़कों पर आक्रोश का माहौल

मयमनसिंह में हिंदू नागरिक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या की निंदा करते हुए प्रदर्शनकारियों ने कोलकाता स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. 

दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या सबको झकझोर दिया 

हिंदू कपड़ा मजदूर दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद से लोगों में और भी आक्रोश है. दीपू चंद्र को भीड़ ने पीट-पीटकर फैक्ट्री से बाहर घसीटकर, फांसी पर लटकाया और उसे आग लगा दी. बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था के चरमराने का प्रतीक बन गई है.

ईशनिंदा का आरोप जांच के दौरान खारिज

अधिकारियों को दास द्वारा किसी भी प्रकार की ईशनिंदापूर्ण टिप्पणी या सोशल मीडिया पोस्ट का कोई सबूत नहीं मिला है. जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि आरोप अस्पष्ट, अपुष्ट और संभवतः एक बहाना था, और कार्यस्थल विवाद इसके पीछे का संभावित कारण हो सकता है.

गिरफ्तार किए गए लोगों में फैक्ट्री अधिकारी भी शामिल

बता दें अब तक कम से कम 12 लोगों को गिरफ्तार की जा चुकी है, जिनमें फैक्ट्री सुपरवाइजर और सहकर्मी शामिल हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि दीपू को पुलिस के हवाले करने के बजाय जबरन इस्तीफा दिलवाया गया और फैक्ट्री से बाहर निकाल दिया गया. कानून प्रवर्तन अधिकारियों का कहना है कि इस देरी ने उसकी जान ले ली.

उस्मान हादी की हत्या से देशव्यापी अशांति

शेख हसीना के खिलाफ पिछले साल जुलाई में हुए विद्रोह के प्रमुख उस्मान हादी की मौत ने बांग्लादेश में बड़े विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है. 

हादी को ढाका में गोली मारी गई, उन्हें हवाई जहाज से सिंगापुर ले जाया गया और कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई, जिससे वे कट्टरपंथी आंदोलनों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गए.

इंकलाब मंचो ने अंतरिम सरकार को गिराने की दी धमकी 

हादी के सहयोगियों के नेतृत्व वाले विरोध मंच इंकलाब मंचो ने अंतरिम सरकार को अल्टीमेटम जारी करते हुए चेतावनी दी है कि अगर न्याय नहीं मिला तो सरकार को सत्ता से हटाने के लिए जन आंदोलन चलाया जाएगा. समूह ने तुरंत सुनवाई के लिए न्यायाधिकरण और यहां तक ​​कि विदेशी जांच सहायता की भी मांग की है.

मीडिया संस्थानों पर हमला, पत्रकार फंसे

सोमवार को भीड़ ने द डेली स्टार और प्रोथोम आलो के कार्यालयों में तोड़फोड़ और आगजनी की, जिससे पत्रकार घंटों तक अंदर फंसे रहे. संपादकों का कहना है कि ये हमले प्रेस को चुप कराने के उद्देश्य से किए गए थे, न कि खबरों के विरोध में.

बढ़ते डर के बीच अल्पसंख्यकों का विरोध प्रदर्शन

ढाका और अन्य जगहों पर हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समूहों ने प्रदर्शन किए हैं, जिसमें अंतरिम सरकार पर टारगेट हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया गया है. मानवाधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना लगातार बढ़ रही है.

हिंसा बढ़ने के बीच यूनुस ने चुनावी वादे पर जोर दिया 

बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने दोहराया है कि आम चुनाव 12 फरवरी को होंगे और सरकार चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है. हालांकि, आलोचकों का मानना ​​है कि भीड़ हिंसा, हत्याओं और राजनीतिक अस्थिरता के बीच स्वतंत्र और शांतिपूर्ण चुनाव संभव नहीं हैं.