आधुनिक शहरों की रफ्तार तकनीक के सहारे चलती है, लेकिन चीन के नानजिंग में हुआ एक अप्रत्याशित जीपीएस ब्लैकआउट इस निर्भरता की कमजोरी उजागर कर गया. करीब छह घंटे तक सैटेलाइट नेविगेशन सेवाएं ठप रहने से परिवहन, डिलीवरी और डिजिटल सेवाएं प्रभावित हुईं. लगभग एक करोड़ की आबादी वाले इस शहर में लोगों ने खुद को अपने ही इलाके में भटका हुआ महसूस किया.
पूर्वी चीन के प्रमुख शहर नानजिंग में अचानक सैटेलाइट सिग्नल काम करना बंद कर गए. अमेरिका का जीपीएस और चीन का बेइदौ, दोनों नेटवर्क प्रभावित हुए. नेविगेशन ऐप्स ठप हो गए, ड्रोन उड़ान नहीं भर सके और स्मार्ट सिस्टम पर निर्भर सेवाएं रुक गईं.
ब्लैकआउट के दौरान राइड-हेलिंग बुकिंग में करीब 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. फूड डिलीवरी में लगभग 40 प्रतिशत तक देरी हुई. बाइक-शेयरिंग सेवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित रहीं, जहां कई साइकिलें अपनी वास्तविक जगह से मीलों दूर दिखाई देने लगीं.
शुरुआती जांच में मोबाइल नेटवर्क को दोषमुक्त पाया गया. बाद में नानजिंग सैटेलाइट एप्लिकेशन इंडस्ट्री एसोसिएशन ने बताया कि जीपीएस और बेइदौ सिग्नल पर “अस्थायी हस्तक्षेप और दबाव” पड़ा था. यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह हस्तक्षेप कहां से आया.
विशेषज्ञों का मानना है कि एक साथ दो सैटेलाइट सिस्टम का प्रभावित होना सामान्य तकनीकी गड़बड़ी से आगे का संकेत देता है. कुछ विश्लेषक इसे भविष्य के संघर्षों में नेविगेशन सिस्टम को बाधित करने की संभावित रणनीति के रूप में देख रहे हैं.
इस घटना ने भारत जैसी डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए चेतावनी दी है. भारत जीपीएस, ग्लोनास, गैलीलियो, बेइदौ और अपने नविक सिस्टम पर निर्भर करता है. विशेषज्ञों के अनुसार, मल्टी-सिस्टम उपयोग, ऑफलाइन मैप और स्थानीय पोजिशनिंग सिस्टम भविष्य में ऐसे संकटों से निपटने में अहम भूमिका निभाएंगे.