Ayodhya Ke Ram: 3 अरब साल पुरानी चट्टान से बनी है रामलला की प्रतिमा, जानें सबसे बड़ी खासियत 

Ayodhya Ke Ram: अयोध्या में बने नए मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की गई रामलला की प्रतिम 300 करोड़ साल पुरानी चट्टान से बनी है. 

Amit Mishra

Ayodhya Ke Ram: अयोध्या में रामलला अपने भव्य और दिव्य राम मंदिर में विराजमान हो चुके हैं. 22 जनवरी को नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूरे उत्साह के साथ संपन्न हुई. गर्भगृह में रामलला की 51 इंच की विग्रह स्थापित की गई जिसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तराशा है. जिस शिला को मूर्ति का रूप दिया गया है उसकी खुदाई मैसूर के एचडी कोटे तालुका में जयापुरा होबली में गुज्जेगौदानपुरा से की गई थी. अब उस पत्थर से जुड़ी एक अहम जानकारी सामने आई है.

जानें खास बात 

पीटीआई ने राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से बताया है कि जिस चट्टान के पत्थर से मूर्ति तराशी गई है वो 3 अरब साल पुरानी है. मतलब 300 करोड़ साल पुरानी चट्टान से कृष्ण शिला निकाली गई और फिर अरुण योगीराज ने उसको मूर्ति का रूप दिया. ट्रस्ट के मुताबिक, ये एक महीन से मध्यम दाने वाली और आसमानी-नीली मेटामर्फिक चट्टान है. इसकी सतह चिकनी होने की वजह से इसे सोपस्टोन कहा जाता है. आमतौर पर सोपस्टोन मूर्तिकारों के लिए मूर्तियां बनाने के लिए आदर्श माना जाता है.

सुंदर प्रतिमा 

यहां ये भी बता दें कि, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक, रामलला की मूर्ति के लिए आभूषण आध्यात्म रामायण, वाल्मिकी रामायण, रामचरितमानस और अलवंदर स्तोत्रम जैसे ग्रंथों के गहन शोध और अध्ययन के बाद तैयार किए गए हैं. मूर्ति को बनारसी कपड़े से सजाया गया, जिसमें एक पीली धोती और एक लाल 'पताका' या 'अंगवस्त्रम' है. 'अंगवस्त्रम' को शुद्ध सोने की 'जरी' और धागों से सजाया गया है, जिसमें शुभ वैष्णव प्रतीक - 'शंख', 'पद्म', 'चक्र' और 'मयूर' शामिल हैं.