अरावली संबंधी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, पहाड़ की परिभाषा के लिए समिति का किया गठन, केंद्र से मांगा स्पष्टीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अरावली पहाड़ियों के लिए हाल ही में मंजूर की गई परिभाषाओं के बारे में कुछ स्पष्टीकरण जरूरी हैं, और इस मुद्दे पर पिछले महीने दिए गए फैसले पर रोक लगा दी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यानी आज अरावली पहाडियों को लेकर 20 नवंबर को दिए गए अपने अहम आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है. अदालत ने कहा है कि इस आदेश और इससे जुडी विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को अभी लागू नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक नई स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया है, जो अरावली पहाडियों की नई परिभाषा की समीक्षा करेगी.
20 नवंबर के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाडियों और उनके विस्तार की एक समान परिभाषा को स्वीकार किया था. इस फैसले के तहत दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अरावली क्षेत्र के भीतर नए खनन पट्टों पर रोक लगाई गई थी. हालांकि इस फैसले की पर्यावरण विशेषज्ञों, सामाजिक संगठनों और पूर्व वन अधिकारियों ने कडी आलोचना की थी. उनका कहना था कि नई परिभाषा से अरावली का संरक्षण कमजोर हो सकता है और अनियंत्रित खनन को बढावा मिल सकता है.
मुख्य न्यायाधीश ने क्या कहा?
सोमवार को इस मामले की सुनवाई तीन जजों की पीठ ने की, जिसकी अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत ने की. उनके साथ जस्टिस जे के महेश्वरी और जस्टिस ए जी मसीह भी पीठ में शामिल थे. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत की पिछली टिप्पणियों और समिति की रिपोर्ट को गलत तरीके से समझा जा रहा है. उन्होंने साफ किया कि किसी भी आदेश को लागू करने से पहले निष्पक्ष और स्वतंत्र विशेषज्ञ राय जरूरी है.
अदालत ने समिति के सामने कौन-कौन से रखे सवाल?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण, भूगोल और वन संरक्षण से जुडे विशेषज्ञों की एक नई समिति बनाई जाएगी. यह समिति पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की पहले की सिफारिशों की समीक्षा करेगी. अदालत ने इस समिति के सामने पांच अहम सवाल भी रखे हैं. इनमें यह शामिल है कि क्या अरावली को केवल 500 मीटर तक सीमित करना संरक्षण क्षेत्र को कमजोर करता है. क्या इससे गैर अरावली क्षेत्रों में खनन का रास्ता खुल सकता है. क्या 500 मीटर के अंतराल में नियंत्रित खनन की अनुमति दी जा सकती है. अगर दी जाती है तो पर्यावरण संतुलन कैसे बनाए रखा जाएगा.
केंद्र सरकार और सभी संबंधित राज्यों को जारी किया नोटिस?
अदालत ने यह भी पूछा है कि अगर नियमों में कोई बडी कमी सामने आती है तो क्या पूरे अरावली क्षेत्र की संरचनात्मक मजबूती बनाए रखने के लिए विस्तृत अध्ययन की जरूरत होगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है.
फिलहाल 20 नवंबर का आदेश स्थगित रहेगा. इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी. तब तक नई समिति की रिपोर्ट का इंतजार किया जाएगा और उसी के आधार पर आगे का फैसला लिया जाएगा.
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