Ahmedabad Plane Crash:अहमदाबाद प्लेन क्रैश के 4 दिन बाद कहां गायब हो गए थे एयर इंडिया के 112 पायलट? सरकार ने संसद में बताई सच्चाई

अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद बोइंग 787-ड्रीमलाइनर विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे में 274 लोगों की दुखद मौत हो गई थी. इस दुर्घटना के बाद एयर इंडिया के 100 से अधिक पायलटों ने 'बीमार छुट्टी' ले ली थी.

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Garima Singh

Ahmedabad air accident: अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद बोइंग 787-ड्रीमलाइनर विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे में 274 लोगों की दुखद मौत हो गई थी. इस दुर्घटना के बाद एयर इंडिया के 100 से अधिक पायलटों ने 'बीमार छुट्टी' ले ली थी. इस भयावह हादसे में विमान हवा में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया और एक कॉलेज हॉस्टल की इमारत में जा गिरा, जिसके परिणामस्वरूप 274 लोगों की जान चली गई. इस घटना ने न केवल विमानन उद्योग को झकझोर दिया है, बल्कि पायलटों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाला है.

विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने गुरुवार को संसद में इस मुद्दे पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 16 जून को 61 वरिष्ठ पायलटों और 51 उड़ान अधिकारियों ने छुट्टी के लिए आवेदन किया. अपने आवेदन में पायलटों ने इस भयानक हादसे के बाद अपनी मानसिक सेहत को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर दिया. नायडू ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, "61 वरिष्ठ पायलटों और 51 उड़ान अधिकारियों ने 16 जून को छुट्टी के लिए आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने अपने मानसिक स्वास्थ्य को पहचानने और उसका प्रबंधन करने की आवश्यकता पर बल दिया, विशेष रूप से इतनी भयावह दुर्घटना के बाद."

मानसिक स्वास्थ्य: एक उपेक्षित पहलू

यह घटना विमानन उद्योग में पायलटों के मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित करती है. पायलटों पर न केवल उड़ान की जिम्मेदारी होती है, बल्कि वे यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी जवाबदेह होते हैं. इस तरह की त्रासदी उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी परिस्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और समर्थन की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

एयर इंडिया का रुख और भविष्य के कदम

एयर इंडिया ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए पायलटों के लिए काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने की योजना बनाई है. साथ ही, विमानन मंत्रालय ने भी इस दिशा में नीतिगत बदलावों पर विचार करने का आश्वासन दिया है. इस हादसे ने न केवल सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देने की आवश्यकता को भी उजागर किया है.