किस बिमारी में पानी बन जाता है घातक जहर? देर होने से पहले जानिए उसके लक्षण

डॉक्टर नमक युक्त इंट्रावीनस सॉल्यूशन द्वारा सोडियम स्तर को नियंत्रित करते हैं. गंभीर मामलों में वार्ड में निगरानी और जटिलता अनुसार उपचार जारी रखा जाता है. पानी हमारे स्वास्थ्य का स्तंभ है, पर सही मात्रा और संतुलित इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ. हायपोनेट्रेमिया को समझें, अपने शरीर से संकेत पहचानें, और जरूरत से अधिक पानी पीने से बचें, ताकि आपका “जीवनदायिनी” पानी कभी मौत का कारण न बन पाए.

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Reepu Kumari

Effect of Drinking Excessive Water: जल ही जीवन है. पानी जीवन के लिए अनिवार्य है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही जल जहर भी बन जाता है. लेकिन किसी खास बीमारी में.अत्यधिक मात्रा में सेवन करने पर यह शरीर के लिए विष सिद्ध हो सकता है. हायपोनेट्रेमिया (Hyponatremia) या जल विषाक्तता तब होती है जब शरीर में सोडियम का स्तर खतरनाक रूप से गिर जाता है. चलिए जानते हैं इसके पीछे क्या है वजह.

हायपोनेट्रेमिया तब उत्पन्न होती है जब अत्यधिक पानी पीने से रक्त में सोडियम (नमक) का संतुलन बिगड़ जाता है. सोडियम कोशिकाओं के बाहर तरलता नियंत्रित करता है. पानी की अधिकता से कोशिकाओं के अंदर पानी भरने लगता है, जिससे सूजन और गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं.

लक्षण और संकेत

  • उल्टी और मतली
  • सिरदर्द, चक्कर आना
  • भ्रम की स्थिति और चपलता की कमी
  • मांसपेशियों में ऐंठन या कमजोरी
  • अत्याधिक मामलों में कोमा या मृत्यु तक

कौन हैं जोखिम में?

  • एथलीट्स: दौड़ या मैराथन में बिना इलेक्ट्रोलाइट संतुलन के लगातार पानी पीना
  • बच्चे: खेल या पार्क में अत्यधिक पानी पिने पर
  • मूत्रमार्ग संबंधी विकार: ब्लैडर नियंत्रण समस्या वाले मरीज
  • दिल या गुर्दे की बीमारी: जहाँ शरीर में तरल संचय बढ़ता है

निरोधक उपाय

इलेक्ट्रोलाइट संतुलन: पानी के साथ स्पोर्ट्स ड्रिंक या सोलटेब्स का सेवन

मापदंड निर्धारित करें: एक घंटे में 400–800 मिलीलीटर से अधिक न पिएँ

डॉक्टरी सलाह: यदि सिरदर्द या उल्टी की समस्या हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें

इलाज और उपचार

डॉक्टर नमक युक्त इंट्रावीनस सॉल्यूशन द्वारा सोडियम स्तर को नियंत्रित करते हैं. गंभीर मामलों में वार्ड में निगरानी और जटिलता अनुसार उपचार जारी रखा जाता है.

पानी हमारे स्वास्थ्य का स्तंभ है, पर सही मात्रा और संतुलित इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ. हायपोनेट्रेमिया को समझें, अपने शरीर से संकेत पहचानें, और जरूरत से अधिक पानी पीने से बचें, ताकि आपका “जीवनदायिनी” पानी कभी मौत का कारण न बन पाए.