50 years of Sholay: 'दूसरा शोले बनाना मुश्किल है', ‘शोले’ के 50 साल पूरे होने पर झूमी बसंती, बताया क्यों हुई हिट
50 years of Sholay: बॉलीवुड की कालजयी फिल्म ‘शोले’ इस स्वतंत्रता दिवस पर अपनी रिलीज के 50 साल पूरे कर रही है. हेमा मालिनी ने इस मौके पर अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा कि इस फिल्म की सफलता का अंदाजा उन्हें शुरू में नहीं था. आइए, इस ऐतिहासिक फिल्म और इसके पीछे की कहानी को जानें.
50 years of Sholay: बॉलीवुड की कालजयी फिल्म ‘शोले’ को इस स्वतंत्रता दिवस पर अपनी रिलीज हुए 50 साल पूरे हो गए हैं. हेमा मालिनी ने इस ऐतिहासिक मौके पर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि इस फिल्म की सफलता का अंदाजा लगाना शुरू में मुश्किल था. आइए, इस सिनेमाई धरोहर की कहानी को फिर से जीवंत करें.
15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई ‘शोले’ भारतीय सिनेमा की सबसे हिट फिल्मों में से एक है. संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया बच्चन और अमजद खान जैसे दिग्गज सितारों से सजी इस फिल्म ने अपने डायलॉग्स, गानों और किरदारों के जरिए इतिहास रचा. 4 अगस्त 2025 को बातचीत में हेमा मालिनी ने इस स्वर्ण जयंती पर भावुक होकर कहा, 'हमें खुशी होती है. जब काम करना शुरू किया था, तब मालूम नहीं था, इतना बड़ा हिट होगा, और 50 साल बाद, आप मुझसे संसद में इसके बारे में सवाल पूछेंगे.'
शोले ने पूरे किए 50 साल
अपनी बातचीत में हेमा मालिनी ने यह भी जोड़ा, 'उस वक्त मुझे क्या मालूम था, हम संसद में आएंगे. वो वक्त अलग था, पिक्चर बस बन गई. दूसरा शोले बनाना मुश्किल है.' यह बयान न केवल उनकी विनम्रता को दर्शाता है, बल्कि ‘शोले’ की अनूठी उपलब्धि को भी रेखांकित करता है.
रमेश सिप्पी की डायरेक्टेड ‘शोले’ को शुरुआत में आलोचकों से ठंडा रिस्पॉन्स मिला था. रिलीज के पहले दो हफ्तों में बॉक्स ऑफिस पर इसका प्रदर्शन भी औसत रहा. लेकिन, सलीम-जावेद की लेखनी, आर.डी. बर्मन के कालजयी संगीत और दर्शकों के मुंह-जुबानी प्रचार ने इसे एक कल्ट क्लासिक बना दिया. 'कितने आदमी थे?', 'बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना' जैसे डायलॉग्स आज भी लोगों की जुबान पर हैं.
इन फिल्मों का टूटा रिकॉर्ड
मुंबई के मिनर्वा थिएटर में यह फिल्म पांच साल तक लगातार चली, जो उस समय का रिकॉर्ड था. बाद में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ने इस रिकॉर्ड को तोड़ा. 70 एमएम प्रिंट में शूट की गई इस फिल्म ने सिनेमाई अनुभव को बेजोड़ बनाया.
‘शोले’ की कहानी दो दोस्तों, जय और वीरू, बसंती की चुलबुली अदा और गब्बर सिंह की खलनायकी के इर्द-गिर्द घूमती है. अमजद खान का गब्बर भारतीय सिनेमा का सबसे यादगार खलनायक बना, जबकि हेमा मालिनी की बसंती ने टैंगेवाली की जीवंतता को अमर कर दिया. 'ये दोस्ती' और 'होली के दिन' जैसे गीत आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं. इस फिल्म ने एक्शन, ड्रामा, कॉमेडी और रोमांस का ऐसा मिश्रण पेश किया, जो आज भी बेमिसाल है.
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