'मुझे बंद कमरे में नहीं रहना...', चरण सेवा वाले सीन के बाद ऐसा क्यों बोलने लगीं 'महाराज' की हीरोइन शालिनी पांडे?

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म महाराज के चरण सेवा सीन की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. यह सीन फिल्म में महाराज की दमदार भूमिका निभाने वाले जयदीप अहलावत और शालिनी पांडे पर फिल्माया गया है. शालिनी पांडे ने बताया कि इस सीन को शूट करने के बाद वह बुरी तरह डर गई थीं और कमरे से बाहर निकल गई थीं.

Imran Khan claims
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Bollywood News: नेटफ्लिक्स पर 21 जून को रिलीज हुई मल्होत्रा पी सिद्धार्थ की फिल्म महाराज अपने कुछ दृश्यों को लेकर चर्चा में है. इस फिल्म में जुनैद खान, जयदीप अहलावत और शालिनी पांडे मुख्य भूमिकाओं में हैं. फिल्म के सबसे चर्चित दृश्य 'चरण सेवा' को लेकर शालिनी पांडे ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में बताया कि कैसे इस दृश्य की शूटिंग ने उन्हें अंदर तक प्रभावित किया.

क्या कहती है फिल्म

फिल्म में शालिनी ने किशोरी का किरदार निभाया है, जिसका उसके धार्मिक गुरु, महाराज द्वारा यौन शोषण किया जाता है. फिल्म में यह बताया गया है कि कैसे कुछ धार्मिक गुरु चरण सेवा के नाम पर अपने अनुयायियों का यौन शोषण किया करते थे.

शालिनी ने कहा कि जब उन्होंने इस किरदार के बारे में पढ़ा तो शुरुआत में उन्हें लगा कि किशोरी 'बेवकूफ' है लेकिन जब मैंने इस किरदार को किया तब मुझे समझ में आया वह बेवकूफ नहीं थी बल्कि उसे इस तरह सोचने के लिए तैयार किया गया है कि उसके साथ जो हो रहा है वह कुछ भी गलत नहीं बल्कि एक आशीर्वाद है और वह काफी बाद तक उसे एक आशीर्वाद के रूप में ही लेती है.

सीन के बाद मुझे घबराहट होने लगी

शालिनी ने कहा कि जब तक मैंने चरण सेवा का सीन नहीं किया था तब तक मुझे एहसास ही नहीं हुआ कि इसका मुझपर क्या असर पड़ेगा लेकिन जब मैंने वह सीन किया तो मैं अचानक से बाहर आ गई और मैंने अपनी टीम से कहा, 'मैं बंद कमरे में नहीं रहना चाहती, मुझे कुछ समय चाहिए, ताजी हवा चाहिए. मुझे घबराहट हो रही है.' मेरे निर्देशक और जयदीप ने भी इस बात को समझा. एक्ट्रेस ने कहा कि जब मैंने इस किरदार को निभाया तब मुझे पता चला कि यह कितना बुरा है.

सच्ची घटनाओं पर आधारित है फिल्म

उन्होंने कहा कि किशोरी बेवकूफ नहीं है, बस वह कुछ बेहतर नहीं जानती है. वह बस यही जानती है कि जो कुछ उसके साथ हो रहा है वह सब ठीक हो रहा है. शालिनी ने कहा कि जब आप ऐसा महसूस करते हैं और इसके बारे में सोचते हैं तो यह आपको अंदर तक तोड़ देता है.  एक्ट्रेस ने कहा कि उनकी विचारधाराएं किशोरी के किरदार से बिल्कुल अलग हैं. सौरभ शाह की किताब और सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म महाराज 1800 के दशक के बॉम्बे की पृष्ठभूमि पर आधारित है


 

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