Sandhya Shantaram Passes Away: दिग्गज अभिनेत्री संध्या शांताराम का निधन, 87 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
बॉलीवुड की स्वर्णिम दौर की एक चमकती हुई सितारा संध्या शांताराम अब हमारे बीच नहीं रहीं. प्रसिद्ध अभिनेत्री संध्या जो अपने पति और दिग्गज फिल्म निर्माता वी. शांताराम की कई कालजयी फिल्मों की जान थीं, का 4 अक्टूबर 2025 को निधन हो गया. वह 87 वर्ष की थीं. उम्र संबंधी बीमारियों के कारण उनका अवसान हुआ, जैसा कि परिवार के करीबियों ने बताया.
Sandhya Shantaram Passes Away: बॉलीवुड की स्वर्णिम दौर की एक चमकती हुई सितारा संध्या शांताराम अब हमारे बीच नहीं रहीं. प्रसिद्ध अभिनेत्री संध्या जो अपने पति और दिग्गज फिल्म निर्माता वी. शांताराम की कई कालजयी फिल्मों की जान थीं, का 4 अक्टूबर 2025 को निधन हो गया. वह 87 वर्ष की थीं. उम्र संबंधी बीमारियों के कारण उनका अवसान हुआ, जैसा कि परिवार के करीबियों ने बताया. मुंबई के वैकुंठ धाम शिवाजी पार्क में शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें परिवारजन, दोस्त और प्रशंसक भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे.
संध्या का असली नाम विजया देशमुख था. उनका जन्म 13 सितंबर 1938 को हुआ था. फिल्मी सफर की शुरुआत 1951 में मराठी फिल्म 'अमर भूपाली' से हुई, जहां उन्हें वी. शांताराम ने एक अखबार विज्ञापन के जरिए खोजा था. उनकी अनोखी आवाज और अभिनय प्रतिभा ने शांताराम को प्रभावित किया. उसी साल वे शांताराम की दूसरी पत्नी जयश्री से अलग होने के बाद उनकी तीसरी पत्नी बनीं. 1956 में हुई इस शादी में उम्र का फासला 37 वर्ष था, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे के साथ पेशेवर और निजी जीवन में शानदार तालमेल बिठाया.
संध्या ने शांताराम के अधिकांश फिल्मों में काम किया और उनकी साझेदारी ने भारतीय सिनेमा को अमर रचनाएं दीं. संध्या की लोकप्रियता का राज उनकी नृत्य कला और भावपूर्ण अभिनय था. 1955 की 'झनक झनक पायल बाजे' में उन्होंने क्लासिकल डांस की बारीकियां दिखाईं, जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. फिल्म ने चार फिल्मफेयर अवॉर्ड और राष्ट्रीय पुरस्कार जीता. 1957 की 'दो आंखें बारह हाथ' में चंपा का किरदार निभाकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की. यह फिल्म सैमुअल गोल्डविन अवॉर्ड जीतकर गोल्डन ग्लोब का हिस्सा बनी.
'अरे जा रे हट नटखट' गाना आज भी लोगों के दिलों में बसा
1959 की 'नवरंग' में 'अरे जा रे हट नटखट' गाना आज भी याद किया जाता है. इस गाने के लिए संध्या ने खुद नृत्य डिजाइन किया, बिना किसी कोरियोग्राफर के. सेट पर असली हाथी और घोड़े लाए गए और संध्या ने बिना डुप्लिकेट के डांस किया. 1961 की 'स्त्री' में शकुंतला की भूमिका में असली शेरों के साथ सीन शूट करना उनका साहस दर्शाता है.
फिल्ममेकर मधुर भंडारकर ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी, लिखा, 'संध्या जी, आपकी कला अमर रहेगी.' वी. शांताराम के पोते और परिवार ने कहा, 'मां की सादगी और समर्पण हमेशा प्रेरणा देगा.' संध्या शांताराम का जाना भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत है. उनकी फिल्में सामाजिक संदेश और सौंदर्य का संगम थीं. प्रशंसक आज भी उनके गीतों पर थिरकते हैं. भगवान उनकी आत्मा को शांति दें.
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