मुंबई: मलयालम सिनेमा के दिग्गज श्रीनिवासन का शनिवार 20 दिसंबर को निधन हो गया. उन्होंने एर्नाकुलम के त्रिपुनिथुरा स्थित एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. 69 साल की उम्र में उनके जाने से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को गहरा झटका लगा है. उनके निधन की खबर से पूरे केरल में शोक की लहर है.
श्रीनिवासन के निधन पर कई कलाकारों ने दुख जताया. एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि वह अब तक के सबसे महान लेखक निर्देशक और एक्टरओं में से एक थे. उनके शब्दों और विचारों ने सिनेमा को नई दिशा दी. इंडस्ट्री के कई दिग्गजों ने भी उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि दी.
श्रीनिवासन का जन्म 6 अप्रैल 1956 को केरल के थलास्सेरी के पास पत्याम में हुआ था. शुरुआती पढ़ाई कदीरुर में हुई और बाद में उन्होंने मट्टानूर के PRNSS कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया. इसके बाद उन्होंने चेन्नई के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से औपचारिक प्रशिक्षण लिया. यहीं से उनकी रचनात्मक यात्रा को सही दिशा मिली.
लगभग पांच दशकों के करियर में श्रीनिवासन ने 225 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. उनके किरदार आम आदमी से जुड़े होते थे, जिनमें समाज की सच्चाई साफ नजर आती थी. वह अपने तीखे सामाजिक व्यंग्य के लिए खास तौर पर पहचाने जाते थे. ओदारुथम्मावा आलारियम, संदेशम, नादोडिक्कट्टू और न्जान प्रकाशान जैसी फिल्मों की पटकथाएं आज भी दर्शकों को याद हैं.
अभिनय और लेखन के साथ साथ श्रीनिवासन ने निर्देशन में भी अपनी प्रतिभा दिखाई. वदक्कुनोक्कियंत्रम और चिंथाविष्ठयाया श्यामला जैसी फिल्मों ने उनकी संवेदनशील सोच को सामने रखा. उन्होंने निर्माता के रूप में भी काम किया और कई सफल फिल्मों से जुड़े रहे. सिनेमा को देखने और समझने का उनका नजरिया उन्हें खास बनाता है.
श्रीनिवासन के परिवार में उनके दो बेटे विनीत श्रीनिवासन और ध्यान श्रीनिवासन हैं, जो मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. श्रीनिवासन भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम और विचार मलयालम सिनेमा में हमेशा जीवित रहेंगे.