महिमा चौधरी बनीं दुल्हन... संजय मिश्रा संग 'दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी' का ट्रेलर देखने के बाद नहीं रोक पाएंगे हंसी
दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी का ट्रेलर रिलीज हो गया है. महिमा चौधरी और संजय मिश्रा की अनोखी जोड़ी फिल्म में हंसी और भावनाओं का मजेदार मेल दिखाने वाली है. ट्रेलर आते ही सोशल मीडिया फैंस के रिएक्शन की बाढ़ आनी शुरू हो गई.
संजय मिश्रा और महिमा चौधरी स्टारर फिल्म दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी का ट्रेलर आखिरकार रिलीज कर दिया गया है. फैंस इस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित थे क्योंकि पोस्टर आने के बाद से ही यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि फिल्म में मजेदार कहानी देखने को मिलेगी. अब ट्रेलर सामने आने के बाद दर्शकों की उत्सुकता और बढ़ गई है.
ट्रेलर की शुरुआत एक हल्की फुल्की और अनोखी स्थिति से होती है. दुर्लभ प्रसाद नाम का एक पचास साल का आदमी दूसरी शादी करने का फैसला करता है. यह फैसला उसके परिवार, पड़ोसियों और समाज में तरह तरह की प्रतिक्रियाएं पैदा करता है. उसी के इर्द गिर्द ट्रेलर मजेदार और भावुक पलों के बीच आगे बढ़ता है. ट्रेलर में दिखाया गया है कि उम्र के इस पड़ाव में दोबारा शादी करना आसान नहीं होता.
महिमा चौधरी का अनोखा अंदाज
महिमा चौधरी फिल्म में दुल्हन के किरदार में नजर आती हैं. लंबे समय के बाद इस तरह की भूमिका में उनका अंदाज़ दर्शकों को बेहद पसंद आ रहा है. ट्रेलर में उनके और संजय मिश्रा के बीच की केमिस्ट्री साधारण होते हुए भी मजेदार है. महिमा का सहज अभिनय और उनकी अभिव्यक्तियां फिल्म में ताजगी जोड़ती हैं. ट्रेलर में एक दृश्य ऐसा भी है जहां दोनों किरदार अपनी जिंदगी के अनुभवों और अकेलेपन की बात करते हैं. यह हिस्सा फिल्म के भावनात्मक पहलू को सामने लाता है. इससे पता चलता है कि फिल्म सिर्फ कॉमेडी नहीं बल्कि रिश्तों की गहराई को भी छूने वाली है.
सह कलाकारों की मजबूत मौजूदगी
फिल्म में व्योम और पलक ललवानी भी नजर आ रहे हैं. ट्रेलर में उनके किरदार हल्के फुल्के लेकिन प्रभावशाली दिखाए गए हैं. परिवार में होने वाली नोक झोंक और शादी की तैयारियां ट्रेलर को जीवंत बनाती हैं. फिल्म का निर्देशन सिद्धांत राज ने किया है. ट्रेलर देखकर साफ है कि निर्देशक ने कहानी को सरल लहजे में प्रस्तुत किया है ताकि दर्शक हर पल से जुड़ सकें. ट्रेलर का मुख्य संदेश यह है कि जिंदगी किसी भी उम्र में नई शुरुआत दे सकती है. सामाजिक दबावों और लोगों की बातों के बावजूद अगर दो लोग एक दूसरे को समझते हैं और खुश रहना चाहते हैं, तो उनकी यात्रा का सम्मान होना चाहिए.
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