Allu Kanakaratnam Death: चिरंजीवी ने सास अल्लू कनकरत्नम के निधन के बाद किया ऐसा काम, जिसे जानकर आप भी भावुक हो जाएंगे!

Allu Kanakaratnam Death: टॉलीवुड मेगास्टार चिरंजीवी की सास और अल्लू अर्जुन की दादी, अल्लू कनकरत्नम का 94 साल की उम्र में निधन हो गया. दुख की इस घड़ी में चिरंजीवी ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए उनकी आंखें दान कर दीं, जिससे दो लोगों को रोशनी मिल सकेगी. यह कदम पूरे देश में सराहना बटोर रहा है.

Social Media
Babli Rautela

Allu Kanakaratnam Death: टॉलीवुड एक्टर अल्लू अर्जुन की दादी श्रीमती अल्लू कनकरत्नम का 30 अगस्त 2025 की सुबह लंबी बीमारी के बाद 94 साल की आयु में निधन हो गया. तड़के करीब 1:45 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर से न केवल अल्लू परिवार, बल्कि पूरे तेलुगु फिल्म उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई है.

इस गहरे व्यक्तिगत नुकसान के बीच, मेगास्टार चिरंजीवी ने एक ऐसा काम किया जो न केवल मानवीय दृष्टिकोण के लिए सीख है, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी है. उन्होंने अपनी दिवंगत सास की आंखों को दान करने की व्यवस्था की, जिससे दो नेत्रहीनों को रोशनी मिल सकेगी.

चिरंजीवी ने दान की सास की आंखें

चिरंजीवी ने कहा कि यह अल्लू कनकरत्नम की अंतिम इच्छा थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनके नेत्रों को दान कर दिया जाए. चिरंजीवी ने यह सुनिश्चित किया कि इस नेक कार्य को पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ पूरा किया जाए. अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर भावुक पोस्ट में चिरंजीवी ने लिखा, 'श्रीमती कनकरत्नम्मा गारू का निधन अत्यंत दुखद है. उन्होंने हमारे परिवार में न केवल प्रेम और स्नेह दिया, बल्कि अपने जीवन मूल्यों से हमें हमेशा प्रेरित किया. उनका धैर्य, साहस और सेवा की भावना हमें हमेशा याद रहेगी. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले. ओम् शांति.' 

सामाजिक कार्यों में अल्लू परिवार

अल्लू परिवार पहले भी सामाजिक कार्यों में आगे रहा है, लेकिन इस बार दर्द को दया में बदलने का जो कार्य चिरंजीवी ने किया, वह विशेष सराहनीय है. इस एक कदम ने यह साबित कर दिया कि सिनेमा के सितारे सिर्फ पर्दे पर ही नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी में भी रोल मॉडल हो सकते हैं.

नेत्रदान के इस कार्य से, अल्लू कनकरत्नम की दृष्टि अब उन दो व्यक्तियों के जीवन में उजाला करेगी, जो शायद कभी संसार को देखने का अनुभव नहीं कर पाते. इस घटना ने एक बार फिर नेत्रदान जैसे सामाजिक कार्यों की महत्ता को उजागर किया है. चिरंजीवी के इस कदम ने यह सिद्ध कर दिया कि असली महानता दुख के क्षणों में लिए गए निर्णयों से झलकती है.