Education Report in India: देशभर में स्कूली शिक्षा के नामांकन में 37 लाख से अधिक की गिरावट आई है. यह गिरावट एससी, एसटी, ओबीसी और लड़कियों के वर्ग में सबसे अधिक है. साल 2022-23 की तुलना में साल 2023-24 में स्कूली शिक्षा की विभिन्न श्रेणियों में यह गिरावट दर्ज की गई है. माध्यमिक के तहत कक्षा नौंवी से 12वीं में यह गिरावट 17 लाख से अधिक है. हालांकि, प्री-प्राइमरी के नामांकन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
गुरुवार को जारी एक सरकारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में स्कूली शिक्षा के नामांकन भारी गिरावट आई है. एससी, एसटी, ओबीसी और लड़कियों के वर्ग में एडमिशन रेट कम हुए हैं. साल 2024-25 में यह आंकड़ा सात साल के निचले स्तर 24.68 करोड़ पर आ गया. यानी पिछले साल की तुलना में 11 लाख की गिरावट है. यह देश की जनसांख्यिकी में बदलाव का संकेत है. गौरतलब है कि रिपोर्ट में क्लास 1 से 5 तक के बच्चों के नामांकन में 34 लाख की गिरावट भी दिखाई गई है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा शैक्षणिक साल 2024-25 के लिए जारी यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) के आंकड़ों से पता चला है कि कुल 24.68 करोड़ छात्र स्कूल प्रणाली में नामांकित थे, जिनमें सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, निजी और अन्य स्कूल शामिल थे. पिछले कुछ सालों में नामांकन के आंकड़ों में लगातार गिरावट आ रही है 2023-24 में, स्कूलों में नामांकित छात्रों की संख्या 24.8 करोड़ थी, जो 2022-23 के 25.18 करोड़ के आंकड़े से कम है.साल 2021-22 से समग्र नामांकन में लगातार गिरावट आ रही है.
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि प्राथमिक स्तर (क्लास 1 से 5 तक, जिसमें 6-10 आयु वर्ग के छात्र शामिल हैं) में नामांकन 2023-24 में 10.78 करोड़ से घटकर 2024-25 में 10.44 करोड़ हो जाएगा, जो लगभग 34 लाख छात्रों की गिरावट को दर्शाता है. पूर्व-प्राथमिक (नर्सरी और किंडरगार्टन), उच्च प्राथमिक (क्लास 6-8), माध्यमिक (9-10) और उच्चतर माध्यमिक (11-12) में एडमिशन में वृद्धि हुई है.
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की मानें तो कुछ राज्यों को छोड़कर, कुल नामांकन में गिरावट का मुख्य कारण जन्म दर में गिरावट है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने खबर एजेंसी से कहा, 'इसीलिए निचली क्लास ओं में कम बच्चे प्रवेश कर रहे हैं.'
भारत में कुल प्रजनन दर में गिरावट पिछले कुछ सालों में देखी गई है, लेकिन यह पहली बार है कि इसका प्रभाव स्कूल नामांकन के आंकड़ों पर दिखाई दे रहा है.
भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2021 तक घटकर 1.91 प्रति महिला हो गई, जो कि 2.1 प्रति महिला के प्रतिस्थापन स्तर से कम है. टीएफआर एक महिला द्वारा उसके प्रजनन सालों में जन्में बच्चों की औसत संख्या है, जबकि प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन क्षमता का वह स्तर है जिस पर एक जनसंख्या स्वयं को प्रतिस्थापित करती है.
2022 में, एनसीईआरटी ने '2025 तक स्कूल नामांकन का अनुमान और रुझान' शीर्षक से एक स्टडी रिपोर्ट जारी किया. इसमें 6-16 आयु वर्ग में घटती आबादी के कारण 2025 तक सभी स्तरों पर स्कूल नामांकन में गिरावट की भविष्यवाणी की गई थी.
पिछले जुलाई में, संघीय थिंक टैंक नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, राज्यों को भविष्य में बढ़ती उम्र की आबादी की समस्याओं से निपटने के लिए जनसांख्यिकीय प्रबंधन योजनाएं शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया था. यह पहली बार था जब राज्यों और केंद्र ने नीति आयोग जैसे औपचारिक मंच पर जनसांख्यिकीय प्रबंधन योजना की आवश्यकता पर बात की थी.
इस साल जुलाई में, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि उनकी सरकार जल्द ही लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एक नीति शुरू करेगी. उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि दक्षिण भारत की कम जन्म दर संसद में उनके प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी स्कूलों में नामांकन 12.75 करोड़ से घटकर 12.16 करोड़ हो गया, यानी लगभग 59 लाख छात्रों की कमी. इसके विपरीत, निजी स्कूलों में नामांकन 9 करोड़ से बढ़कर 9.59 करोड़ हो गया, यानी लगभग 59.80 लाख छात्रों की वृद्धि.