देश में शिक्षा व्यवस्था की उड़ रहीं धज्जियां, NCERT में आधे से ज्यादा पद खाली, दो सालों से कोई भर्ती नहीं

संसद में बताए गए नए आंकड़ों के मुताबिक, एनसीईआरटी और उसके जुड़े संस्थानों में कुल 2844 स्वीकृत पद हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 1219 पद ही भरे हुए हैं. यानी 1625 पद खाली पड़े हैं.

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Sagar Bhardwaj

देश की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने वाली प्रमुख संस्था नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) में कर्मचारियों की भारी कमी है. संसद में बताए गए नए आंकड़ों के मुताबिक, एनसीईआरटी और उसके जुड़े संस्थानों में कुल 2844 स्वीकृत पद हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 1219 पद ही भरे हुए हैं. यानी 1625 पद खाली पड़े हैं, जो कुल पदों का 57 प्रतिशत है.

शिक्षा मंत्रालय ने दी जानकारी

यह जानकारी पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस सांसद समिरुल इस्लाम के सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्रालय ने दी. यह कमी सिर्फ मुख्य एनसीईआरटी में नहीं, बल्कि उसके क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों (आरआईई), भोपाल के पंडित सुंदरलाल शर्मा सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ वोकेशनल एजुकेशन, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल टेक्नोलॉजी जैसे जुड़े विभागों में भी है. सबसे ज्यादा समस्या गैर-शैक्षणिक पदों में है. ग्रुप सी के पदों में तो हर चार में से तीन पद खाली हैं.

दो सालों में कोई स्थाई भर्ती नहीं

ग्रुप बी में भी हालत कुछ ऐसी ही हैं, जबकि ग्रुप ए में कमी थोड़ी कम है. आश्चर्य की बात यह है कि 2020-21 और 2021-22 में एनसीईआरटी ने कोई स्थायी भर्ती नहीं की.

इन दो सालों में खाली पद ऐसे ही पड़े रहे. पिछले पांच सालों में कुल 229 शैक्षणिक और 216 गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती हुई. 2022-23 में तो सिर्फ एक गैर-शैक्षणिक कर्मचारी ही नियुक्त हुआ. काम चलाने के लिए एनसीईआरटी ठेके पर कर्मचारियों पर निर्भर हो गया है.

ठेके पर निर्भर हो गया है विभाग

2022-23 में 760 ठेका कर्मचारी थे, जबकि 2024-25 में यह संख्या करीब 655 है. संसद की शिक्षा संबंधी स्थायी समिति ने पहले ही चेतावनी दी थी कि लंबे समय तक ठेका कर्मचारियों पर निर्भर रहना ठीक नहीं. इसी तरह की समस्या नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) में भी है, जहां स्थायी भर्तियां बहुत कम हुई हैं.

शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने संसद को बताया कि भर्ती एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और नियमों के अनुसार खाली पद भरने की कोशिश की जा रही है. यह कमी शिक्षा के क्षेत्र में चिंता का विषय है, क्योंकि एनसीईआरटी किताबें बनाने, शिक्षक ट्रेनिंग और रिसर्च का बड़ा काम करती है. विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी खाली जगहों से काम की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है. सरकार को जल्दी से स्थायी भर्तियां करने की जरूरत है ताकि शिक्षा व्यवस्था मजबूत बनी रहे. (शब्द संख्या: 352)