दिल्ली में प्रदूषण कौन करता है कंट्रोल, DPCC में कई पद खाली; भर्ती शुरू

दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते संकट के बीच DPCC में 189 पद खाली पड़े हैं, जिससे प्रदूषण नियंत्रण की क्षमता प्रभावित हो रही है. अब 52 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है.

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Reepu Kumari

नई दिल्ली: फिलहाल दिल्ली की हवा बहुत ही खराब स्तर पर है. लोग परेशान हैं कि अब आगे क्या होगा. अस्पतालों के चक्कर कई लोग काटने को मजबूर हो गए हैं. दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार चिंता बढ़ा रहा है. ऐसे में DPCC यानी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की क्षमता पर बड़ा संकट मंडरा रहा है. मंजूर 344 पदों में से 189 खाली हैं. इससे फील्ड निरीक्षण और नियमों के क्रियान्वयन में देरी होती है. अब DPCC ने 52 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है, जिन्हें डेप्युटेशन और शॉर्ट टर्म कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर भरा जाएगा.

आवेदन तीन चरणों में लिए जाएंगे-30 नवंबर, 15 दिसंबर और 31 दिसंबर तक. विशेषज्ञों का कहना है कि इन पदों के भरने से DPCC की कार्यक्षमता बढ़ेगी. खाली पदों के कारण अब तक फील्ड निरीक्षण कम हुए हैं और उद्योगों व निर्माण स्थलों के खिलाफ कार्रवाई में देरी हुई है. 

खाली पदों का असर

DPCC में तकनीकी पदों की कमी का सबसे बड़ा असर फील्ड निरीक्षण और औद्योगिक निगरानी पर पड़ा है. पर्यावरण कार्यकर्ता भावरीन कंधारी बताते हैं कि खाली पदों के कारण नियमों का पालन सही ढंग से नहीं हो पाता. प्रदूषण स्रोत लंबे समय तक अनियंत्रित रहते हैं. इससे हवा में हानिकारक तत्व जमा होते हैं और आम लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा बढ़ता है. तकनीकी विशेषज्ञों की कमी से एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग और कचरा प्रबंधन भी प्रभावित होता है.

भर्ती प्रक्रिया का विवरण

DPCC ने 52 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है. आवेदन योग्य अधिकारियों से डेप्युटेशन और शॉर्ट टर्म कॉन्ट्रैक्ट पर लिए जाएंगे. आवेदन तीन चरणों में स्वीकार किए जाएंगे—पहला 30 नवंबर, दूसरा 15 दिसंबर और तीसरा 31 दिसंबर. योग्य उम्मीदवार केंद्र, राज्य, अनुसंधान संस्थान, स्वायत्त निकाय और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स में काम कर रहे अधिकारी हो सकते हैं. भर्ती प्रक्रिया से DPCC की क्षमता को मजबूत किया जाएगा.

तकनीकी क्षमता पर असर

स्टाफ की कमी से DPCC के तकनीकी कामकाज प्रभावित होते हैं. रियल-टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग, औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण और कचरा प्रबंधन में देरी होती है. तकनीकी और एनफोर्समेंट ऑफिसर की कमी नियमों के अनुपालन में बाधा बनती है. परिणामस्वरूप प्रदूषण की रोकथाम कमजोर पड़ती है और हवा में हानिकारक तत्व लंबे समय तक बने रहते हैं.

कानूनी कार्यवाही प्रभावित

खाली पदों के कारण DPCC की केंद्रीय एजेंसियों से समन्वय क्षमता कम हो जाती है. नीतियों के क्रियान्वयन में देरी होती है और ठोस, डेटा-आधारित योजना बनाने में बाधा आती है. स्टाफ की कमी सीधे प्रदूषण कानूनों के प्रभावी पालन को प्रभावित करती है. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह केवल प्रशासनिक देरी नहीं है, बल्कि लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम भी बढ़ा रही है.

भर्ती से मिलेगी मजबूती

52 नए पदों की भर्ती से DPCC को नई ताकत मिलेगी. तकनीकी और प्रशासनिक क्षमता बढ़कर फील्ड निरीक्षण, नियमों का पालन और प्रदूषण नियंत्रण को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम दिल्ली की हवा की गुणवत्ता सुधारने में निर्णायक साबित होगा और नागरिकों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डालेगा.