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India Daily

RBI MPC Meeting: क्या भारतीय रिजर्व बैंक लगातार तीसरी बार रेपो रेट में करेगा कटौती? आज होगा फाइनल

यह वह दर होती है जिस जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को कर्ज देता है. अगर रेपो रेट बढ़ाया जाता है तो साफ है कि बैंकों को रिजर्व बैंक से महंगी दर पर कर्ज मिलेगा. इस तरह कर्ज महंगे हो जायेंगे. वहीं अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो आपके लोन की EMI भी कम हो जाएगी और आपके होम लोन और कार लोन सस्‍ते होंगे.

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Edited By: Reepu Kumari
RBI MPC Meeting
Courtesy: Pinterest

RBI MPC Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) आज सुबह 10 बजे मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की रिपोर्ट पेश करने वाली है. ये रिपोर्ट गवर्नर संजय मल्होत्रा 6 जून 2025 के पेश करेंगे. इस बार भी लोग उम्मीद लगा रहे हैं कि फरवरी और अप्रैल की तरह इस बार भी MPC से रेपो रेट में कटौती हो सकती है. अगर ऐसा सही साबित होता है तो रेपो रेट में यह लगातार तीसरी बार कटौती होगी. इससे आम लोगों को बहुत फायदा होगा. इसके साथ ही लोन की मांग में इजाफा होगा.

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यों वाली एमपीसी ने अप्रैल में अपने नीतिगत रुख को तटस्थ से बदलकर उदार करने का निर्णय लिया था. इस साल सेंट्रल बैंक दो बार रेपो रेट में कटौती कर चुका है. फरवरी और मार्च में 0.25 फीसदी की दो बार कटौती हो चुकी है. रेपो रेट 6 फीसदी है.

रेपो रेट में कटौती की संभावना

एक्सपर्ट्स की मानें तो रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती आरबीआई के द्वारा की जा सकती है. अगर ऐसा हुआ तो रेपो रेट 5.75 फीसदी पर आ जाएगा. लेकिन भारतीय स्टेट बैंक की एक रिसर्च रिपोर्ट में तो कुछ और ही कहती है जिसके अनुसार 50 आधार अंकों की बड़ी दर कटौती होने की संभावना जताई गई थी.  रेपो दर में कमी से बैंकों द्वारा उधार दरों में कमी आती है, जो बदले में खुदरा और कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के लिए ईएमआई को कम करती है. भारत में विकास और मुद्रास्फीति के बीच एक नाजुक संतुलन कायम करने की कोशिश चल रही है. 

MPC में छह सदस्य कौन-कौन हैं

RBI के सदस्य - गवर्नर संजय मल्होत्रा, डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन.

बाहरी सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं;

  • नागेश कुमार, निदेशक और मुख्य कार्यकारी, औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली; श्री सौगत भट्टाचार्य, अर्थशास्त्री, मुंबई; और प्रोफेसर राम सिंह, निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली.

 रेपो रेट किसे कहते हैं ?

जब रिजर्व बैंक ऑफ और इंडिया जिस दर पर दूसरे बैंको को कर्ज देती है उसे कहते हैं रेपो रेट. रेपो रेट के बढ़ने और घटने का असर बैंको को मिलने वाले कर्ज के दर पर पड़ता है. अगर रेपो रेट बढ़ता है तो बैंको को ज्यादा ब्याज पर कर्ज मिलता है. अगर घटता है तो ब्याज कम होता है. इससे आम लोगों के मिलने वाले लोग पर भी असर पड़ता है आपका जो EMI कटता है वो भी महंगा और सस्ता इसी वजह से होती है. इससे होम लोन से लेकर कार लोन तक पर असर पड़ता है.

रिवर्स रेपो रेट

यहां रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट दोनों का संबंध कर्ज पर लगने वाले ब्याज से ही है लेकिन इसमें लेने वाला और देना वाला बदल जाता है. रेपो रेट में रिजर्व बैंक और इंडिया से बाकी बैंक कर्ज लेते हैं वहीं रिवर्स रेपो रेट में बाकी बैंक आईबीआई को कर्ज देते हैं.

नकद आरक्षित अनुपात (कैश रिजर्व रेशियो CRR)

बैंकों को अपनी जमा का जो हिस्सा केंद्रीय बैंक के पास रखना होता है. उसे नकद आरक्षित अनुपात कहते हैं. अगर सीआरआर बढ़ाया जाता है तो इसका मतलब यह है कि बैंकों को ज्यादा बड़ी राशि रिजर्व बैंक के पास रखनी होगी . यानी बाजार में पूँजी प्रवाह कम हो जायेगा