india gold reserves: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 10 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश के स्वर्ण भंडार में 3.6 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे कुल मूल्य बढ़कर 102.36 अरब डॉलर हो गया.
दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान कुल विदेशी मुद्रा भंडार मामूली गिरावट के साथ 697.78 अरब डॉलर पर आ गया. विशेषज्ञों का कहना है कि यह उपलब्धि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और डॉलर पर निर्भरता घटाने की कोशिशों के बीच आई है.
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय रिजर्व बैंक ने सोने को अपनी विदेशी मुद्रा रणनीति का अहम हिस्सा बना लिया है. हालांकि इस साल जनवरी से सितंबर के बीच आरबीआई ने सिर्फ 4 टन सोना खरीदा है, जबकि 2024 में यह खरीद करीब 50 टन थी.
बावजूद इसके, सोने की कीमतों में रिकॉर्ड 65 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने आरबीआई के पोर्टफोलियो को नया आयाम दे दिया. अब सोने का मूल्य भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा बन चुका है- यह अनुपात 1990 के दशक के बाद सबसे ज्यादा है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में अब तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में 65 फीसदी की छलांग लगी है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह उछाल मुख्य रूप से आर्थिक अस्थिरता, महंगाई के दबाव और निवेशकों के 'सेफ हेवन' की ओर रुझान के चलते आया है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की इंडिया रिसर्च हेड कविता चाको के मुताबिक, 'भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी में जो वृद्धि दिख रही है, वह मुख्य रूप से कीमतों में आए इस उछाल का नतीजा है.'
भारत के अलावा कई देशों के केंद्रीय बैंक भी अपने विदेशी भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण है अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना और भू-राजनीतिक जोखिमों से बचाव. रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों की पाबंदियों के बाद से 'डी-डॉलराइजेशन' की चर्चा तेज हुई है, जिसके चलते देशों ने अपने भंडार में सोने का अनुपात बढ़ाया है.
भारत के लिए यह रणनीति दोहरे फायदे वाली साबित हो रही है- एक ओर डॉलर जोखिम घट रहा है, वहीं सोने की कीमतों में बढ़त से कुल भंडार का मूल्य भी बढ़ रहा है.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता देश है. यहां सोने को सिर्फ निवेश नहीं, बल्कि परंपरा और आस्था का प्रतीक माना जाता है. घरेलू मांग पूरी करने के लिए देश सोने का बड़ा हिस्सा आयात करता है. ऐसे में यह उपलब्धि केवल आर्थिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अहम है. आरबीआई प्रमुख संजय मल्होत्रा ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की बैठक में कहा कि 'भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त हैं और वैश्विक स्तर पर सोना संग्रह को लेकर कोई चिंता की बात नहीं है.'