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तंबाकू, शराब, लग्जरी कारें होंगी महंगी: GST में संशोधन की योजना बना रही सरकार, लेकिन आम आदमी को होगा फायदा

विशेषज्ञों का मानना है कि एक उपकर को दो नए उपकरों से बदलना आसान नहीं होगा, क्योंकि जीएसटी कानून नए उपकर की अनुमति नहीं देता, जिसके लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता हो सकती है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Government is planning to amend GST Know what will be cheap and expensive

केंद्र सरकार की GST व्यवस्था में मुआवजा उपकर को समाप्त करने और इसके स्थान पर स्वास्थ्य और स्वच्छ ऊर्जा उपकर लागू करने की योजना से सिगरेट, कार्बोनेटेड पेय, और हाई-एंड कारों की कीमतें बढ़ सकती हैं.

स्वास्थ्य और स्वच्छ ऊर्जा सेस

हेल्थ सेस ‘सिन गुड्स’ जैसे तंबाकू उत्पादों और 28% जीएसटी स्लैब वाले अन्य उत्पादों पर लागू होगा, जिन्हें समाज पर नकारात्मक प्रभाव के कारण उच्च कर दर पर रखा जाता है. वहीं, स्वच्छ ऊर्जा उपकर महंगी कारों और कोयले पर लगेगा, जो नरेंद्र मोदी सरकार की नवीकरणीय और गैर-प्रदूषणकारी ऊर्जा की दिशा में नीति से मेल खाता है. एक प्रतिष्ठित मीडिया के सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में मुआवजा उपकर पर मंत्रियों का समूह (GoM) इस महीने के अंत में इस मुद्दे पर चर्चा करेगा. 

सूत्रों ने बताया कि GoM दो नए उपकरों पर सहमति के करीब है, क्योंकि ज्यादातर राज्य अस्वास्थ्यकर या हानिकारक माने जाने वाले सामानों पर कर जारी रखने के पक्ष में हैं.

कानूनी चुनौतियां

विशेषज्ञों का मानना है कि एक उपकर को दो नए उपकरों से बदलना आसान नहीं होगा, क्योंकि जीएसटी कानून नए उपकर की अनुमति नहीं देता, जिसके लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता हो सकती है. नए उपकरों का लाभार्थी कौन होगा, यह भी एक प्रमुख मुद्दा है. मुआवजा उपकर 2017 में जीएसटी अधिनियम के साथ शुरू हुआ था, ताकि राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई की जा सके. यह उपकर जून 2022 में समाप्त हो गया था, लेकिन मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया ताकि राज्य महामारी के दौरान लिए गए ऋणों को चुका सकें.

मध्यम वर्ग के लिए राहत?

सूत्रों के अनुसार, जीएसटी स्लैब की संख्या कम करने पर भी चर्चा चल रही है, जिसमें 12% स्लैब को समाप्त करने का प्रस्ताव है. इससे कुछ उत्पाद 5% के निचले कर दायरे में आ सकते हैं, जबकि अन्य 18% के उच्च स्लैब में जाएंगे. सरकार का मानना है कि टूथपेस्ट जैसे मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आवश्यक उत्पादों पर कर कम करने से खपत बढ़ेगी, जिससे लंबे समय में कर संग्रह में वृद्धि होगी.

जीएसटी संग्रह में वृद्धि

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जून में जीएसटी संग्रह 6.2% बढ़कर 1.85 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.74 लाख करोड़ रुपए था. हालांकि, यह मई के ₹2.01 लाख करोड़ और अप्रैल के ₹2.37 लाख करोड़ से कम था.