GST Hike Air Travel: सरकार द्वारा प्रीमियम हवाई यात्रा पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) बढ़ाने के फैसले से एयरलाइन इंडस्ट्री में नाराजगी बढ़ गई है. अब 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत किया गया GST 22 सितंबर से लागू होगा. यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उड़ानों पर लागू होगा, चाहे वे भारतीय एयरलाइंस की हों या विदेशी कंपनियों की.
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने इस फैसले को निराशाजनक करार दिया है. एशिया पैसिफिक क्षेत्र के लिए IATA के रीजनल वाइस प्रेसिडेंट शेल्डन ही ने कहा कि यह कदम भारत के एविएशन सेक्टर की मांग और मुनाफे पर बुरा असर डालेगा. उन्होंने कहा कि एविएशन सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अहम भूमिका निभा सकता है. ऐसे में प्रीमियम टिकटों पर GST बढ़ाना बिना स्पष्ट कारण के निराशाजनक है.
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2017 से अब तक टैक्स बोझ दोगुना से ज्यादा बढ़ चुका है. सेवा कर व्यवस्था में यह 8.6 प्रतिशत था, जो अब 18 प्रतिशत तक पहुंच गया है. उन्होंने कहा,'प्रीमियम यात्री कई रूट की व्यवहार्यता तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं. उन्हें ज्यादा टैक्स से दबाना उल्टा असर डालने वाला कदम है.'
IATA ने यह भी बताया कि एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की एयरलाइंस की मुनाफाखोरी पहले से ही कमजोर है. इस क्षेत्र की एयरलाइंस से 2025 में प्रति यात्री केवल 2.60 डॉलर के लाभ की उम्मीद है. भारतीय एयरलाइंस कंपनियों में एयर इंडिया घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर बिजनेस क्लास और प्रीमियम इकोनॉमी सेवाएं देती है. वहीं इंडिगो ने हाल ही में बिजनेस क्लास मार्केट में कदम रखा है और मुंबई, बेंगलुरु, सिंगापुर, बैंकॉक और दुबई सहित चुनिंदा रूट्स पर प्रीमियम सीटें उपलब्ध कराई हैं. कंपनी का लक्ष्य 2025 के अंत तक इसे 12 रूट्स तक बढ़ाने का है.
IATA ने पहले भी भारत की एविएशन नीतियों और टैक्स पर सवाल उठाए हैं. संगठन का कहना है कि ईंधन टैक्स और एयरपोर्ट चार्ज जैसे बोझ पहले से ही यात्रा को महंगा बनाते हैं. अब GST में बढ़ोतरी से मांग और प्रभावित होगी और भारत की वैश्विक एविएशन हब बनने की महत्वाकांक्षा को झटका लगेगा. IATA का मानना है कि सरकार द्वारा उठाए गए ऐसे अल्पकालिक राजस्व बढ़ाने के उपाय लंबी अवधि में इंडस्ट्री की वृद्धि को नुकसान पहुंचा सकते हैं.