भारत में कर्मचारियों को इस साल औसतन 9.4% वेतन वृद्धि की उम्मीद है. जो मजबूत आर्थिक विकास और कुशल प्रतिभाओं की बढ़ती मांग का संकेत है. एक रिपोर्ट में मंगलवार (14 जनवरी) को यह जानकारी दी गई. मानव संसाधन परामर्श फर्म मर्सर के कुल पारिश्रमिक सर्वेक्षण (टीआरएस) के अनुसार, पिछले पांच सालों में वेतन वृद्धि में लगातार वृद्धि हुई है, जो 2020 में 8 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 9.4 प्रतिशत होने का अनुमान है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ऑटोमोटिव क्षेत्र सबसे आगे है, जहां 8.8% से बढ़कर 10% तक वेतन वृद्धि का अनुमान है. इसका कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग और सरकार के 'Make in India' अभियान की सफलता है. विनिर्माण और इंजीनियरिंग क्षेत्र भी करीब 8% से बढ़कर 9.7% तक बढ़ने की संभावना जताई गई है, जो कि विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र में हो रही पुनरुत्थान को दर्शाता है.
सर्वे में शामिल कंपनियां और श्रमिक मांग
इस सर्वे में भारत की 1,550 से ज्यादा कंपनियों ने भाग लिया, जो प्रौद्योगिकी, जीवन विज्ञान, उपभोक्ता वस्त्र, वित्तीय सेवाएं, विनिर्माण, ऑटोमोटिव और इंजीनियरिंग जैसे विविध उद्योगों में फैली हुई थीं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2025 में 37% कंपनियां अपनी कर्मशक्ति में वृद्धि करने की योजना बना रही हैं, जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभा की बढ़ती मांग को दर्शाता है.
स्वैच्छिक कर्मचारी पलायन और रणनीतिक भर्ती पर ध्यान
स्वैच्छिक पलायन दर 11.9% पर स्थिर रहने का अनुमान है, जबकि कृषि और रासायनिक (13.6%) और साझा सेवाओं वाली कंपनियों (13%) में सबसे उच्च दरें दिखाई दे रही हैं, जो एक प्रतिस्पर्धी प्रतिभा बाजार की ओर इशारा करती हैं।
कर्मचारी जुड़ाव और उन्नति की दिशा में कदम
इस साल, कुछ कंपनियां रणनीतिक भर्ती, प्रतिस्पर्धी वेतन, कौशल उन्नयन और कर्मचारी जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित करेंगी, ताकि वे प्रतिभा को आकर्षित कर सकें, कर्मचारियों के पलायन को कम कर सकें और विकास बनाए रख सकें. इसके साथ ही, 75% से अधिक कंपनियां प्रदर्शन आधारित वेतन योजनाओं को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं, जिससे यह साफ हो रहा है कि कंपनियां अब प्रदर्शन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जो दीर्घकालिक और तात्कालिक सफलता के लिए महत्वपूर्ण है.