Gen-Z's status in Hurun list 2025: भारत की अर्थव्यवस्था में युवा ऊर्जा और नई सोच की अक्सर चर्चा होती है, लेकिन जब अमीरी की बात आती है तो पुरानी पीढ़ियां अब भी हावी नजर आती हैं. हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 इस अंतर को और स्पष्ट करती है. जहां 60 और 70 की उम्र पार कर चुके उद्योगपति शीर्ष स्थानों पर विराजमान हैं, वहीं 20 और 30 की उम्र के युवा उद्योगपतियों की मौजूदगी उंगलियों पर गिनने लायक है.
इस सूची में सबसे बड़ा हिस्सा बेबी बूमर पीढ़ी (1946-64) का है, जिनकी हिस्सेदारी 54.6% है. इनके बाद 1965 से 1980 के बीच जन्मे जनरेशन एक्स के लोग 28.1% के साथ दूसरे स्थान पर हैं. इसके अलावा साइलेंट जेनरेशन (1928-45) के लोग भी 10.8% के साथ मौजूद हैं. कुल मिलाकर, सूची का दो-तिहाई से ज्यादा हिस्सा उन्हीं लोगों के पास है, जिन्होंने दशकों से कारोबार और संपत्ति पर अपनी पकड़ बनाई है.
सूची में मिलेनियल्स (1981-96) की हिस्सेदारी महज 6% है. वहीं, जेन-Z (1997 के बाद जन्मे) की हिस्सेदारी तो केवल 0.3% है. यानी 1,687 लोगों की इस सूची में बमुश्किल चार-पांच ही जेन-Z के प्रतिनिधि मौजूद हैं. हालांकि, हुरुन की रिपोर्ट इसे 'नई लहर' का शुरुआती संकेत मानती है, जो आने वाले वर्षों में बड़ा आकार ले सकती है.
सूची में सबसे युवा अरबपति हैं 22 वर्षीय कैवल्य वोहरा, जो क्यू-कॉमर्स और डिलीवरी प्लेटफॉर्म Zepto के सह-संस्थापक हैं. वोहरा का नाम बताता है कि तकनीकी नवाचार और स्टार्टअप कल्चर ने युवाओं को भी तेजी से अमीरी की दौड़ में शामिल करना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि रिपोर्ट इस ट्रेंड को भारत की आर्थिक संरचना में बदलाव का संकेत मानती है.
जहां तक शीर्ष स्थानों की बात है, तो यहां अभी भी पुरानी पीढ़ी का ही कब्जा है. 68 वर्षीय मुकेश अंबानी 9.55 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ पहले स्थान पर हैं, जबकि 63 वर्षीय गौतम अडानी 8.15 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर खिसक गए हैं. इसके अलावा पीढ़ीगत संपत्ति भी स्पष्ट रूप से झलकती है. दूसरी पीढ़ी के 373 लोग इस सूची में हैं, जिनका नेतृत्व अंबानी परिवार कर रहा है. तीसरी पीढ़ी में 88, चौथी पीढ़ी में बिरला, पांचवीं में वाडिया और छठी पीढ़ी में गडकरी परिवार प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.