Tesla India Launch: दो इंजीनियरों का सपना, मस्क का जुनून और तैयार हो गई दुनिया की सबसे इनोवेटिव कार! टेस्ला की पूरी कहानी जानिए
मस्क का सपना है कि अगली टेस्ला 0 से 100 किमी/घंटा सिर्फ 1.9 सेकंड में पहुंचे, और उसमें रॉकेट थ्रस्ट सिस्टम हो. टेस्ला सिर्फ गाड़ियां नहीं बनाती, वो भविष्य की झलक दिखाती है. भारत में इसकी एंट्री सिर्फ एक ब्रांड की शुरुआत नहीं, बल्कि इलेक्ट्रिक रिवॉल्यूशन की दस्तक है.
Tesla India Launch: जब भी टेस्ला का नाम आता है, हमारे ज़हन में तुरंत एलन मस्क की तस्वीर उभरती है-एक ऐसा शख्स जिसने कार को एक मशीन नहीं, बल्कि एक स्मार्ट, स्टाइलिश और तेज रफ्तार सपना बना दिया। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि टेस्ला की शुरुआत मस्क ने नहीं की थी.
अब जबकि टेस्ला भारत में भी कदम रख चुकी है, 15 जुलाई को मुंबई में पहला शोरूम खोलकर, ऐसे में टेस्ला की कहानी को जानना जरूरी है- ये सिर्फ कार नहीं, एक विचार है, एक क्रांति है, जो इलेक्ट्रिक कारों के जरिए पूरी दुनिया को बदलने निकली थी.
दो इंजीनियरों का आइडिया, मस्क की उड़ान
टेस्ला की नींव रखी गई थी 1 जुलाई 2003 को, जब दो इंजीनियर मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने मिलकर इस कंपनी को शुरू किया। उनका मकसद था-एक ऐसी कार बनाना जो तेज़ हो, स्टाइलिश हो और पेट्रोल-डीज़ल से दूरी बनाए रखे. इन्होंने कंपनी का नाम रखा- निकोल टेस्ला के नाम पर, जिन्होंने AC करंट की खोज की थी.
साल 2004 में एलन मस्क ने कंपनी में 6.5 मिलियन डॉलर का निवेश किया और चेयरमैन बन गए। उन्होंने सिर्फ पैसे नहीं लगाए, विजन और पैशन भी दिया। जब 2008 में कंपनी लगभग बंद होने की कगार पर थी, तब मस्क ने CEO बनकर इसे नया जीवन दिया.
रोडस्टर से शुरू हुआ सफर, अब बन गई है AI कार कंपनी
- 2008 में टेस्ला की पहली कार 'रोडस्टर' लॉन्च हुई, जिसने दुनिया को दिखा दिया कि इलेक्ट्रिक कारें भी फास्ट और फैंसी हो सकती हैं.
- 0 से 100 किमी/घंटा की रफ्तार सिर्फ 3.9 सेकंड में
- एक बार चार्ज पर 320 किमी की दूरी तय करने में सक्षम
- मस्क ने रोडस्टर को स्पेस में भेज दिया जी हां, 2018 में स्पेसएक्स के रॉकेट से। आज भी वह कार पृथ्वी की कक्षा में घूम रही है.
- टेस्ला सिर्फ कार कंपनी नहीं है, बल्कि अब ये एक AI और टेक्नोलॉजी आधारित कंपनी बन चुकी है.
ऑटोपायलट
- सेल्फ ड्राइविंग (FSD) फीचर
- घर बैठे कार का सॉफ्टवेयर अपडेट
- क्लीन एनर्जी से लेकर रॉकेट थ्रस्ट तक
- 2016 में टेस्ला ने सोलर सिटी को खरीदा और सोलर रूफ, पावरपैक बैटरी जैसे क्लीन एनर्जी प्रोडक्ट्स पर फोकस शुरू किया.
- शंघाई गीगाफैक्ट्री (इतनी बड़ी कि 100 फुटबॉल स्टेडियम समा जाएं)
- गिगा बर्लिन और गिगा टेक्सास से पूरी दुनिया में विस्तार
- अब भारत में शोरूम के साथ एंट्री
मस्क का सपना है कि अगली टेस्ला 0 से 100 किमी/घंटा सिर्फ 1.9 सेकंड में पहुंचे, और उसमें रॉकेट थ्रस्ट सिस्टम हो. टेस्ला सिर्फ गाड़ियां नहीं बनाती, वो भविष्य की झलक दिखाती है. भारत में इसकी एंट्री सिर्फ एक ब्रांड की शुरुआत नहीं, बल्कि इलेक्ट्रिक रिवॉल्यूशन की दस्तक है.
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