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फेस्टिव सीजन में मारुति सुजुकी ने ब्रिकी के सारे रिकॉर्ड किए ध्वस्त, जानें आम से लेकर खास में किन कारों की हैं बंपर डिमांड?

Maruti Suzuki Car Booking: इस फेस्टिव सीजन मारुति सुजुकी की दिवाली कुछ पहले ही मन रही है, क्योंकि पहले की तुलना में लोग ज्यादा कार खरीद और बुक कर रहे हैं. यहां देखें आंकड़े.

Maruti Suzuki
Shilpa Srivastava

Maruti Suzuki Car Booking: भारत की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी पिछले 10 सालों में अपने एक्सपीरियंस से गुजर रही है. हाल ही में जीएसटी में कटौती के बाद कार की कीमत कम हुई है, जिससे लोगों में कार खरीदने की रूचि देखी गई है. यही कारण है कि कंपनी ने कारों की बिक्री, बुकिंग और एक्सपोर्ट में भारी बढ़ोतरी दर्ज की है.

इस साल नवरात्रि के दौरान, मारुति सुजुकी ने पहले आठ दिनों में ही 1.65 लाख गाड़ियां बेच दीं. वहीं, दशहरा तक यह संख्या 2 लाख तक पहुंच गई. अगर बात करें पिछले साल की तो, इस समय नवरात्रि के दौरान यह एक बड़ी सफलता है. इस समय कंपनी ने लगभग 1 लाख गाड़ियां बेची थीं.

2.5 लाख लोगों ने की कार बुक:

सेल्स के अलावा कार बुकिंग भी रिकॉर्ड स्तर पर है. 2.5 लाख लोगों ने मारुति सुजुकी की कारों की बुकिंग की है, जो पहले से कहीं ज्यादा है. मारुति सुजुकी के सेल्स और मार्केटिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख पार्थो बनर्जी ने कहा, "इस त्योहारी सीजन में मांग पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा है. यह दिखाता है कि जीएसटी दरों में कटौती के बाद लोग कार खरीदने को लेकर ज्यादा पॉजिटिव हैं."

आपको बता दें कि सरकार ने अगस्त महीने में जीएसटी में कटौती की थी. इससे कार की कीमत कुछ कम हुई थी. कार सस्ती हुईं तो लोगों ने कार खरीदना शुरू किया. मारुति का एक्सपोर्ट भी 50% बढ़कर लगभग 42,000 यूनिट हो गया है. इस मांग को पूरा करने के लिए, मारुति के कर्मचारी रविवार और छुट्टियों के दिन भी काम कर रहे हैं.

जल्दी कार डिलीवरी करने के लिए हो रही मेहनत: 

कार डीलर और फाइनेंस कंपनियां जल्दी डिलीवरी करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. पहले, मारुति को हर दिन लगभग 10,000 बुकिंग मिलती थीं. अब यह लगभग 18,000 बुकिंग प्रतिदिन हो रही हैं. इसमें सबसे अहम बात है कि यह डिमांड केवल बड़े शहरों से ही नहीं बल्कि छोटे शहरों से भी देखने को मिल रही है. 

छोटी कारों की मांग में बढ़ोतरी: 

जीएसटी कम होने से छोटी कारों की बिक्री पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है. बड़े शहरों में, यह बढ़ोतरी लगभग 35-40% है, लेकिन छोटे शहरों में यह और भी ज्यादा है.