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जानिए आषाढ़ माह में कब से होगी गुप्त नवरात्रि की शुरुआत, क्या रहेगा पूजा का शुभमुहूर्त?

Ashadha Gupt Navratri 2024: माता दुर्गा को समर्पित नवरात्रि एक साल में चार बार पड़ती हैं. इसमें से दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं. प्रत्यक्ष नवरात्रि चैत्र और शारदीय माह में आती हैं. वहीं, माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि होती हैं. इन नौ दिनों में दस महाविद्याओं का पूजन किया जाता है. इस दौरान साधक तंत्र विद्याओं को भी सिद्ध करते हैं. 

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: pexels

Ashadha Gupt Navratri 2024: हिंदू धर्म में माता दुर्गा के स्वरूपों के पूजन के लिए 9 दिन बेहद खास माने जाते हैं. इन नौ दिनों को नवरात्रि नाम से जानते हैं. एक साल में कुल 4 नवरात्रि पड़ती हैं. इनमें से दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्रि होती हैं. प्रत्यक्ष नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों का पूजन किया जाता है. वहीं, गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं का पूजन किया जाता है. तंत्र-मंत्र की साधना करने वालों के लिए गुप्त नवरात्रि का समय बेहद खास माना जाता है. 

सनातन धर्म में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो जाती हैं. इसके पहले गुप्त नवरात्रि माघ के महीने में पड़ती हैं. वहीं, प्रत्यक्ष नवरात्रि चैत्र महीने और आश्विन महीने में पड़ती हैं. 

आषाढ़ महीने में कब से है शुरु हैं गुप्त नवरात्रि

पंचांग के मुताबिक आषााढ़ माह की के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा 6 जुलाई को हैं. इस कारण इसी दिन से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. इस बार नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 10 दिनों की पड़ने वाली हैं. आषाढ़ माह में चतुर्थी तिथि बढ़ जाने के कारण गुप्त नवरात्रि 10 दिनों तक चलेंगी. 10 दिनों तक 10 महाविद्याओं का पूजन किया जाएगा. 

यह हैं शुभ मुहूर्त

गुप्त नवरात्रि की शुरुआत के दिन अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. यह योग काफी शुभ होता है. 

पहला मुहूर्त- नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का पहला शुभ मुहूर्त 6 जुलाई की सुबह 5 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. 

अभिजीत मुहूर्त- अगर आप पहले मुहूर्त में घटस्थापना नहीं कर पाए हैं तो आप 11 बजे से लेकर 12 बजे तक इन दो शुभ मुहूर्तों में कलश स्थापना कर सकते हैं. 

ये होगी माता ही सवारी

गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 6 जुलाई दिन शनिवार से होने वाली है. दिन के अनुसार माता घोड़े पर सावर होकर आएंगी. इसको शुभ नहीं माना जाता ह और इससे प्राकृतिक आपदा आने की आशंका रहती है.

गुप्त नवरात्रि में माता के इन स्वरूपों की होती है पूजा

गुप्त नवरात्रि में मां कालिके, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगीी और कमला देवी की पूजन किया जाता है. 

माता के पूजन में इन सामग्रियों का करें यूज

गुप्त नवरात्रि के पूजन में माता दुर्गा की प्रतिमा या फिर चित्र, सिंदूर, केसर, जौ, धूप, वस्त्र, दर्पण, कंघी, चूड़ी, कंगन, सुगंधित तेल, आम के पत्तों का बंदनवार, लाल पुष्प, दूर्वा, मेहंदी, बिंदी, साबुत सुपारी, हल्दी की गांठ, पिसी हुई हल्दी, आसनस चौकी, पटरा, रोली, मौली, फूलों का हार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, दीपक, नैवेद्य, शहद, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी, हवन सामग्री, पूजा के लिए थाली, सफेद कपड़े, दूध, दही, गंगाजल, पीली सरसों आदि सामग्रियां रखनी होंगी. 

इस प्रकार से करें पूजन 

  • प्रतिपदा के दिन सुबह जल्दी सोकर उठें. सभी कार्यों से निवत्त होकर नहा लें और फिर पूजन सामग्री एकत्रित करें. 

  • माता दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के आसन पर सजाएं. एक मिट्टी के बर्तन में जौ बो दें और नवमी तक आपको इनमें पानी का छिड़काव करते रहना है. 

  • शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करें. इसके बाद कलश में जल भरें और आम की पत्तियां लगाएं और उसका मुंह ढककर उस पर जटा वाला नारियल रख दें. 

  • कलश पर लाल कपड़ा लपेटें. इसके बाद लाल कलेवा से उसे बांध दें. इसके बाद फूल, कपूर, अगरबत्ती, दीपक जलाकर माता की पूजा प्रारंभ कर दें. 

  • नौ दिनों तक माता दुर्गा के मंत्रों का जाप करें. माता का स्वागत करें और सुख-समृद्धि की कामना करें. 

  • अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन अवश्य करें. 

  • नवरात्रि के आखिरी दिन दुर्गा पूजन के बाद घट विसर्जित कर दें.  

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.