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जानें क्या है भविष्य मालिका, जिसमें की गई है तीसरे विश्व युद्ध से लेकर कलयुग के अंत की भविष्यवाणी

भविष्य मालिका एक ग्रंथ है, जिसे उड़ीसा के संत अच्युतानंद ने लिखा है.

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Mohit Tiwari
जानें क्या है भविष्य मालिका, जिसमें की गई है तीसरे विश्व युद्ध से लेकर कलयुग के अंत की भविष्यवाणी

नई दिल्ली.  भविष्य मालिका में कलयुग के अंतिम कालखंड और युग बदलने को लेकर अनेक सटीक भविष्यवाणियां की गई हैं. यह भविष्यवाणियां आज के समय से संबंधित हैं. इसमें महाविनाश, तीसरा विश्व युद्ध कलयुग का अंत और कल्कि अवतार जैसी बातों का वर्णन किया गया है. भविष्य मालिका में लक्षण भी बताए गए हैं, जिससे हमें भविष्यवाणियों की सटीकता का अंदाजा लग सकता है. कलयुग के अंत के विषय में भविष्य मालिका में काफी विस्तार से लिखा गया है. 

किसने लिखी हैं यह भविष्यवाणियां 

आज से लगभग 500 साल पहले मतलब 16वीं सदी में उड़ीसा में पांच महासंत हुए थे. इनके नाम संत अच्युतानंद दास, संत अनंत दास, संत जसोबंता दास, संत जगन्नाथ और संत बलराम दास था. इन समकालीन संतों को 'पंचसखा' के नाम से जाना जाता था. इन पांच संतों ने उड़ीसा की वैष्णव परंपरा में आध्यात्मिक साहित्य और दर्शन शास्त्र को एक नया रूप दिया. इन्हीं संतों में से एक संत अच्युतानंद के पास भूतकाल, वर्तमान और भविष्यकाल को देख लेने की अद्भुत शक्ति थी. इन्हीं संतों ने भविष्य मालिका की रचना ताड़ के पत्तों पर की थी. भविष्य मालिका ग्रंथ में कई बड़ी भविष्यवाणियां की गई हैं. इसमें सबसे अधिक भविष्य विषय पर 318 पुस्तकें संत अच्युतानंद दास ने लिखी हैं. 

महाविनाश के भी बताए हैं लक्षण

भविष्य मालिका में महाविनाश के भी कुछ लक्षण बताए गए हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि सूरज से दुनियाभर में गर्मी बढ़ने लगेगी और इस गर्मी से लोगों की मौत भी होगी. किसान बारिश से निराश होकर खेती का काम करना छोड़ने लगेंगे. साइक्लोन की हवा बर्बादी फैलाएगी और लोग तेज हवाओं की आवाज से ही डर जाएंगे. जंगली जानवर और सांप आदि जंगल को छोड़कर गांव और शहरों में हमला करेंगे. भगवान जगन्नाथ का अपमान होगा और मंदिर का ध्वज कई बार गिरेगा. जगन्नाथ पुरी मंदिर का बड़ा पत्थर गिरेगा, मंदिर का झंडा भी कई बार गिरेगा, त्रिदेव के ऊपर जो कपड़ा है, उसमें भी आग लग जाएगी. इसके साथ ही मंदिर की परंपराओं में अव्यवस्था होगी. उड़ीसा में पुरी के आखिरी राजा गजपति महाराज होंगे. उड़ीसा में तूफान आएगा और भगवान जगन्नाथ मंदिर का कल्पवृक्ष यानि बरगद का पेड़ टूट जाएगा और इसके बाद दुनिया में लोगों के मरने का सिलसिला शुरू होगा. नई-नई बीमारियां फैलेंगी और डॉक्टर के पास भी इनका कोई इलाज नहीं होगा. महामारियों की वजह से लाखों लोगों की मौत होगी. लोग अंतिम संस्कार करते-करते थक जाएंगे और कई शव तो घर में ही पड़े रह जाएंगे. दुनियाभर के लोगों का दिमाग अशांत रहेगा. साल 2022 से 2027 के बीच भीषण तबाही होगी और कई देशों में भूकंप आएंगे. कहीं बारिश होगी तो कहीं सूखा पड़ जाएगा.

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.