Ramadan 2025 Date: रमजान 2025 का चांद देखने को लेकर इस साल एक अनोखा संयोग बन रहा है, क्योंकि दुनिया के कई बड़े देशों में एक ही दिन चांद दिखाई देने की संभावना है. आमतौर पर, खाड़ी देशों में चांद पहले दिखाई देता है और उसके एक दिन बाद ही दक्षिण एशियाई देशों में रमजान शुरू होता है, लेकिन इस साल खास संयोग के चलते यह अंतर खत्म हो सकता है और सबको चांद एक ही दिन दिखाई देगा.
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, रमजान का महीना शाबान के 29वें दिन चांद देखने के बाद तय किया जाता है. इस साल, सऊदी अरब, यूएई, कतर, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, मिस्र, इंडोनेशिया, मलेशिया, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों में 28 फरवरी 2025 (शुक्रवार) को चांद देखने की अपील की गई है.
अगर 28 फरवरी को चांद दिखता है, तो रमजान का पहला रोजा 1 मार्च 2025 (शनिवार) को रखा जाएगा. वहीं अगर चांद नहीं दिखता, तो रमजान 2 मार्च 2025 (रविवार) से शुरू होगा.
देश | चांद देखने की तारीख | संभावित पहला रोजा |
सऊदी अरब | 28 फरवरी 2025 | 1 मार्च 2025 |
यूएई | 28 फरवरी 2025 | 1 मार्च 2025 |
भारत | 28 फरवरी 2025 | 1 मार्च 2025 |
पाकिस्तान | 28 फरवरी 2025 | 1 मार्च 2025 |
बांग्लादेश | 28 फरवरी 2025 | 1 मार्च 2025 |
तुर्की | 28 फरवरी 2025 | 1 मार्च 2025 |
इंडोनेशिया | 28 फरवरी 2025 | 1 मार्च 2025 |
सऊदी अरब में सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी को चांद देखने की अपील की है. सऊदी चांद देखने वाली समिति दूरबीन और नंगी आंखों से चांद देखने को प्रोत्साहित कर रही है. अगर चांद दिखाई देता है, तो रमजान शनिवार, 1 मार्च से शुरू होगा.
इसके अलावा भारत में लखनऊ की मरकज़ी चांद समिति के मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के अनुसार, 28 फरवरी 2025 को रमजान का चांद देखने की पूरी संभावना है. पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी चांद 28 फरवीर को दिखने की उम्मीद जताई जा रही है.
चांद दिखने के साथ ही मुसलमान उसी रात से तरावीह की नमाज़ पढ़ना शुरू कर देंगे. पहला रोज़ा अगले दिन फजर की नमाज़ के बाद रखा जाएगा. रमजान आध्यात्मिक चिंतन, इबादत और समाज सेवा का महीना होता है, जहां मुस्लिम समुदाय पूरे महीने रोज़े रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं.
इस बार रमजान का चांद देखना मुस्लिम समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक पल हो सकता है, क्योंकि कई सालों बाद पहली बार इतने देशों में एक साथ चांद दिखने की संभावना है.यह घटना वैश्विक इस्लामी एकता और साझा आस्था का प्रतीक होगी.