Chaitra Navratri 2024: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. माना जाता है कि इस दिन से ही विक्रमी संवत 2081 की शुरुआत हो जाएगी. इसके साथ प्रतिपदा से ही नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी. पूरे नवरात्रि के नौ दिनों पर माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है.
शास्त्रों के अनुसार पूरे साल में 4 बार नवरात्रि आती है. इनमें दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं. प्रत्यक्ष नवरात्रि में एक चैत्र माह और दूसरी आश्विन माह में आती है. चैत्र माह की नवरात्रि को वासंतिक नवरात्रि और आश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं. चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन से ही नए हिंदू वर्ष की शुरुआत होती है.
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल की रात्रि 11 बजकर 51 मिनट से आरंभ होगी. उदया तिथि के अनुसार 9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का पहला दिन माना जाएगा. इस दिन माता शैलपुत्री का पूजन किया जाएगा. इसका अर्थ है कि माता का आगमन मंगलवार को होगा.
माता दुर्गा की सवारी शेर है पर नवरात्रि में में माता दिन के अनुसार अलग-अलग वाहनों पर आती हैं. साल 2024 में मंगलवार से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. इस कारण माता दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी. वहीं, माता हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी. हाथी पर मां का प्रस्थान शुभ संकेत होता है.
माना जाता है कि घोड़े पर सवारी करके माता आगमन शुभ नहीं होता है. धार्मिक मान्यता है कि जब-जब जगतजननी मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो देश और दुनिया में राजनीतिक उथल-पुथल, युद्ध और प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिलती हैं. साल 2023 में भी चैत्र नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार से हुई थी. इसके चलते पूरी दुनिया में राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिले थे. जैसे इजरायल-हमास वार, भूकंप, हिमाचल और उत्तराखंड में आई आपदा आदि भी इसका असर हो सकता है. माता का घोड़े पर आगमन आम नागरिकों के जीवन में भी कई दिक्कतों को ला सकता है.
अगर नवरात्रि की शुरुआत सोमवार और रविवार को होती है तो माता हाथी पर सवार होकर आती हैं. वहीं, मंगलवार या शनिवार नवरात्रि की शुरुआत हो तो जगतजननी घोड़े पर व शुक्रवार और गुरुवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर माता डोली में आती हैं. अगर नवरात्रि की शुरुआत बुधवार से हो रही है तो माता नाव पर सवार होकर आती हैं.
नवरात्रि का समापन अगर रविवार या सोमवार को होता है तो माता भैंसे पर सवार होकर जाती हैं. वहीं, अगर शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि समाप्त होती है तो माता मुर्गे पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं. बुधवार को नवरात्रि का समापन होने पर माता हाथी पर सवार होकर वापस जाती हैं. इसके साथ ही गुरुवार को नवरात्रि समाप्त होने पर मां मनुष्य की सवारी से जाती हैं.
देवी भागवत के अनुसार जब माता का आगमन घोड़े पर होता है तो युद्ध की आशंका बढ़ती है. वहीं, अगर मां हाथी पर सवार होकर आती हैं तो बारिश होती है. नाव पर देवी आती हैं तो सभी मनोरथ पूरे होते हैं. माता का डोली पर आगमन महामारी लाता है. माता के प्रस्थान में अगर वे भैंसे पर सवार होकर जाती हैं तो इससे देश में रोग और शोक आता है. अगर वे मुर्गे पर बैठकर जाती हैं तो इससे दुख और कष्ट में वृद्धि होती है. हाथी पर मां का जाना बारिश लाता है. मनुष्य की सवारी सुख व समृद्धि लाती है.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.