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Garud Puran: नाक, कान, आंख या मुंह; मौत के समय शरीर के किस अंग से निकलती है आत्मा? गरुड़ पुराण में लिखा है पूरा सच

जब किसी की मृत्यू हो जाती है तो आपने देखा होगा कि किसी शख्स की आंखें उलट जाती है तो वहीं किसी का मुंह टेढ़ा हो जाता है या खुली रह जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है. ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल होता है आखिर मौत के समय आत्मा शरीर के किस अंग से बाहर निकलती है.

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Edited By: Reepu Kumari
Death in Garud Puran
Courtesy: Pinteres

Garuda Purana: गरुड़ पुराण, जो हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है, मृत्यु और आत्मा के यात्रा पथ का विस्तार से वर्णन करता है. यह पुराण न केवल मृत्यु के रहस्यों को उजागर करता है, बल्कि आत्मा के शरीर छोड़ने के तरीकों को भी समझाता है.  गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा शरीर को प्राणों के माध्यम से छोड़ती है. प्राण, जो जीवन शक्ति का मुख्य स्रोत है, शरीर में अलग-अलग स्थानों पर स्थित होते हैं. मृत्यु के समय, आत्मा शरीर से निकलने के लिए एक मार्ग चुनती है. यह मार्ग आत्मा के कर्म, तपस्या और व्यक्ति के जीवन के गुण-दोषों पर निर्भर करता है.

शरीर के किस अंग से निकलती है आत्मा?

आम धारणा के अनुसार, आत्मा मुख्यतः शरीर से नाक, कान, आंख, मुख और सिर के माध्यम से निकलती है. गरुड़ पुराण बताता है कि उच्च आध्यात्मिक स्तर पर पहुंचे व्यक्तियों की आत्मा सिर के शीर्ष भाग (सहस्रार चक्र) से निकलती है. इसे 'ब्रह्मरंध्र' कहा जाता है और यह मोक्ष प्राप्ति का संकेत है. यह वही मार्ग है जिससे योगी और तपस्वी शरीर छोड़ते हैं.

पापी व्यक्ति की आत्मा कहां से निकलती है?

इसके विपरीत, जिन व्यक्तियों ने अपने जीवन में पाप कर्म किए होते हैं, उनकी आत्मा निचले भागों जैसे गुदा, जननेन्द्रिय या तलवों के माध्यम से निकलती है. ऐसा माना जाता है कि इन मार्गों से आत्मा के निकलने पर उसे अगले जन्म में निम्न योनि में जन्म लेना पड़ता है.

आत्मा के शरीर छोड़ने की प्रक्रिया में 'सूक्ष्म शरीर' (स्थूल शरीर को छोड़कर) सक्रिय होता है. मृत्यु के समय, आत्मा पहले नाड़ियों के माध्यम से यात्रा करती है और अंततः शरीर से बाहर निकलती है. इस प्रक्रिया के दौरान, व्यक्ति के मन, बुद्धि और कर्मों का प्रभाव आत्मा की गति और दिशा तय करता है.  

पिछले कर्मों का लेखा-जोखा कब होता है तैयार?

गरुड़ पुराण यह भी कहता है कि मृत्यु के समय व्यक्ति के पिछले कर्मों का लेखा-जोखा तैयार होता है, और उसी के आधार पर आत्मा अपने अगले गंतव्य की ओर बढ़ती है. यदि व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए हैं, तो उसकी आत्मा शांतिपूर्वक और सहजता से शरीर छोड़ती है. वहीं, बुरे कर्म करने वाले व्यक्तियों की आत्मा को शरीर छोड़ने में संघर्ष और पीड़ा का अनुभव होता है.

इस प्रकार, गरुड़ पुराण आत्मा के शरीर छोड़ने की प्रक्रिया को गहराई से समझाता है और जीवन में अच्छे कर्म करने का संदेश देता है ताकि मृत्यु के बाद आत्मा को शुभ मार्ग मिले.