Astrological Reasons For Divorce: हमारे जीवन में घटने वाली हर घटना के लिए ग्रहों और नक्षत्रों की चाल के साथ ही कुंडली में बनने वाले योग भी जिम्मेदार होते हैं. कई बार इन योगों के दुष्प्रभाव के चलते लोगों की हस्ती-खेलती जिंदगी उजड़ जाती है. दो प्यार करने वाले कपल्स हमेशा के लिए अलग हो जाते हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो तलाक के लिए कुंडली में बनने वाले कई योगों के अलावा, ग्रहों की शुभ और अशुभ स्थिति का भी महत्व होता है.
कुंडली में बनने वाले कई योग रिश्तों में दरार से लेकर तलाक तक के लिए जिम्मेदार होते हैं. ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति कुंडली में मंगल दूसरे, चौथे, सातवें या आठवें और बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही कुंडली में दूसरे, छठवें, सातवें, आठवें या फिर बारहवें भाव और उनके स्वामी की स्थित तलाक का योग बनाती है. वहीं, सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु जैसे ग्रह भी तलाक का योग बनाते हैं.
कुंडली में 8वें या 6वें भाव का स्वामी 7वें भाव के स्वामी के साथ बैठा हो तो विवाह में समस्याएं आती हैं. अगर किसी कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें और 12वें भाव में किसी अन्य अशुभ ग्रह से जुड़ा हुआ हो और लग्न कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी छठवें भाव में स्थित हो व उसपर मंगल की दृष्टि पड़ रही हो तो तलाक हो जाता है.
अगर पुरुष की कुंडली में शुक्र और स्त्री की कुंडली में मंगल पीड़ित हो तो कई प्रकार से यह शादी में दुख देता है.
कन्या राशि के व्यक्तियों की कुंडली में शनि और मंगल पहले और सातवें भाव में या फिर पंचम भाव व 11वें भाव में एक दूसरे को देख रहे हों तो व्यक्ति को वैवाहिक समस्याओं से जूझना पड़ता है. वहीं, 7वें और 8वें भाव में शनि व मंगल की दृष्टि भी जीवन में वैवाहिक समस्याएं लाती है.
7वां भाव शुक्र व सप्तमेश पाप प्रभाव में हो. सप्तम स्थान में मंगल, शनि, राहु, केतु आदि ग्रहों की दृष्टि हो या ये ग्रह सप्तम स्थान पर हैं तो तलाक की नौबत आती है.तलाक कराने में राहु-केतु, मंगल और नेपच्यून आदि ग्रह जिम्मेदार होते हैं.
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