हनुमान जी के दरबार में सिर झुकाता था एक मुस्लिम नवाब, जानिए कैसे शुरू हुई बड़ा मंगल की अनोखी परंपरा

Hanuman Temple Historic News: आज ज्येष्ठ माह का तीसरा बड़ा मंगल है, जब हनुमान जी अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस दिन की शुरुआत और भंडारे के पीछे एक पौराणिक कथा है, जो इसके महत्व को दर्शाती है.

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Anvi Shukla

Hanuman Temple Historic News: आज ज्येष्ठ मास का तीसरा बड़ा मंगल है. इस विशेष दिन को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के समस्त दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि बड़ा मंगल की शुरुआत कैसे हुई और इस दिन जगह-जगह भंडारा क्यों होता है. इसका जवाब छिपा है लखनऊ की एक ऐतिहासिक और दिलचस्प कथा में.

बड़े मंगल की परंपरा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मानी जाती है. कहा जाता है कि लगभग 200 वर्ष पहले अवध के नवाब वाजिद अली शाह के बेटे की तबीयत बेहद खराब हो गई थी. कई इलाजों के बावजूद सुधार नहीं हुआ. नवाब की बेगम इस हालत से बहुत दुखी थीं. तब किसी ने उन्हें सलाह दी कि वे अलीगंज स्थित हनुमान मंदिर में मंगलवार के दिन प्रार्थना करें.

चमत्कार से बेगम हुई खुश

बेगम ने मंदिर जाकर मन्नत मांगी. चमत्कारिक रूप से कुछ ही दिनों में उनके बेटे की तबीयत में सुधार आने लगा. इस चमत्कार से नवाब और उनकी बेगम इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अलीगंज के प्राचीन हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. यह कार्य ज्येष्ठ माह में पूरा हुआ. इस शुभ अवसर पर नवाब ने पूरे शहर में गुड़ का प्रसाद बंटवाया और भंडारा करवाया. तब से लखनऊ में बड़े मंगल के दिन भंडारे और हनुमान पूजन की परंपरा की शुरुआत हुई.

बड़ा मंगल पर हनुमान पूजन विधि

इस दिन श्रद्धालु हनुमान जी को गुलाब की माला अर्पित करते हैं और घी का दीपक जलाते हैं. बजरंग बाण का पाठ करना और 108 बार श्रीराम का नाम जपना विशेष फलदायक माना जाता है. इसके साथ ही पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने की भी परंपरा है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.