दिल्ली की हवा में जहर, 6 साल बाद मिली थोड़ी राहत
Reepu Kumari
2025/09/07 11:39:39 IST
दिल्ली की हवा में जहरीला पारा सबसे ज्यादा
अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली की हवा में पारा का स्तर 6.9 नैनोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जो वैश्विक औसत से करीब 13 गुना अधिक है.
Credit: Pinterestअन्य शहरों की तुलना में दिल्ली आगे
अहमदाबाद में पारा स्तर 2.1 और पुणे में 1.5 नैनोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया, जबकि दिल्ली का स्तर सबसे ज्यादा पाया गया.
Credit: Pinterestमानव गतिविधियों से बढ़ रहा प्रदूषण
रिसर्च में पाया गया कि पारा का 72% से 92% हिस्सा कोयला जलाने, ट्रैफिक और उद्योगों जैसी मानव गतिविधियों से आता है.
Credit: Pinterestसर्दियों और रात में खतरनाक स्तर
सर्दियों और रात के समय पारा की मात्रा तेजी से बढ़ जाती है. इसका कारण कोयला जलाना, पराली और स्थिर मौसम है.
Credit: Pinterestस्वास्थ्य पर गंभीर असर
लंबे समय तक पारा के संपर्क में रहने से तंत्रिका तंत्र, किडनी, पाचन तंत्र, इम्यून सिस्टम और फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं.
Credit: Pinterestवैज्ञानिकों का बड़ा बयान
प्रोफेसर गुफ़रान बीग ने कहा कि यदि छोटी मात्रा में भी लगातार 5-10 साल तक पारा सांस के जरिए शरीर में जाता रहे, तो यह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.
Credit: Pinterestराहत की उम्मीद भी नजर आई
वैज्ञानिकों का कहना है कि हाल के वर्षों में दिल्ली की हवा में पारा के स्तर में धीरे-धीरे कमी के संकेत भी दिखाई दिए हैं.
Credit: Pinterestपर्यावरण संरक्षण की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि कोयले का प्रयोग कम करना, ट्रैफिक कंट्रोल और ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल ही इस संकट से राहत दिला सकता है.
Credit: Pinterestपारा WHO की खतरनाक सूची में शामिल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पारा को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक 10 रसायनों की सूची में रखा है.
Credit: Pinterest